नाटक का अध्ययन: आंखों से 36 प्रकार सेे कर सकते हैं अभिनय

आंखों से 36 प्रकार सेे कर सकते हैं अभिनय
  • बारीकियों को सीखने की जरूरत
  • उपलब्धि दिलाएगी प्रसिद्धि
  • आंखों से अभिनय

डिजिटल डेस्क, नागपुर. नाटक आमतौर पर दो मुख्य शैलियों में आता है, ‘यथार्थवादी' और ‘यथार्थवादी-विरोधी', लेकिन यदि आप नाटक का अध्ययन करेंगे, तो आप इसकी अनेक शैलियों को समझेंगे और उन शैलियों के साथ प्रयोग करने से नाटक समृद्ध होगा। यह विचार डॉ. पराग घोंगे ने रखे। आद्य नाटककार विष्णुदास भावे ने 5 नवंबर 1843 को मराठी रंगमंच पर पहला मराठी नाटक शुरू किया। उस दिन को रंगमंच दिवस के रूप में मनाया जाता है। संजय भाकरे फाउंडेशन की ओर से इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में डॉ. घोंगे बोल रहे थे। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता और वरिष्ठ लेखक प्रकाश एदलाबादकर, वरिष्ठ अभिनेता और संजय भाकरे फाउंडेशन के प्रमुख संजय भाकरे और मंगेश बावसे मंच पर मौजूद थे।

बारीकियों को सीखने की जरूरत

नाटक की गुणवत्ता में सुधार की बात कहते हुए डॉ. घोंगे ने अनेक बार भरत मुनि के नाट्यशास्त्र का उल्लेख किया। उन्होंने नाटक थियेटर कैसा हो, मंच कैसा हो, इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आंखों से अभिनय के 36 प्रकार होते हैं। ऐसी बारीकियों को सीखने की कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि क्या हम हर बार खेलते समय कुछ नया कर रहे हैं, क्या हमारा पढ़ना बढ़ रहा है, क्या हम किसी दिन के अवसर का उपयोग कोई नया कार्य करने के लिए करते हैं। प्रारंभ में दीप प्रज्वलन एवं स्वागत समारोह हुआ। उसके बाद शेखर मंगलमूर्ति द्वारा नरेंद्र इंगले द्वारा लिखित हास्य कहानी पर आधारित "वारावर वराट’ का मंचन किया गया। परिचय संजय भाकरे ने किया। इस मौके पर उन्होंने फाउंडेशन की अब तक की प्रगति की जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन मंगेश बावसे ने किया।

उपलब्धि दिलाएगी प्रसिद्धि

प्रकाश एदलाबादकर ने मौजूदा रंगमंच कलाकारों को सलाह देते हुए कहा कि अगर आप सिर्फ ग्लैमर के पीछे नहीं, बल्कि सच्ची मेहनत करेंगे, तो प्रसिद्धि जरूर मिलेगी। इस अवसर पर उन्होंने दर्शकों का मार्गदर्शन करते हुए संस्कृत ओवी 'नाट्यम भिन्न रूपे' के माध्यम से नाटक के विभिन्न पहलुओं को समझाया। उन्होंने नागपुर के रंगमंच इतिहास की समीक्षा की।

Created On :   6 Nov 2023 6:29 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story