बिहार चुनाव-2025: महागठबंधन ने लगाया पिछड़ा- अति पिछड़ा पर दांव, नीतीश के कोर वोट बैंक में सेंध लगाने की जुगत

महागठबंधन ने लगाया पिछड़ा- अति पिछड़ा पर दांव, नीतीश के कोर वोट बैंक में सेंध लगाने की जुगत
  • टर्निंग प्वाइंट हो सकता है महागठबंधन का दांव
  • नीतीश के कोर वोट बैंक में सेंध

New Delhi News. बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने महागठबंधन (राजद-कांग्रेस-वीआईपी-वाम दल) के साथियों को आगे कर बड़ा दांव खेल दिया है। कांग्रेस ने खुद को बैक फुट पर रख तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री और मुकेश सहनी को उपमुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर आगे खड़ा कर दिया है। इन दोनों चेहरों के बहाने कांग्रेस ने पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग को साधने का प्रयास किया है। पिछले दो दशक में नीतीश कुमार के चेहरे को आगे कर सत्ता का सफर तय करते आ रहे राजग को इस बार महागठबंधन के इस दांव की काट तलाशने के लिए माथापच्ची करनी पड़ सकती है। तेजस्वी और साहनी को चेहरा बना कर कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि वह केवल सत्ता में भागीदार बन अपनी भूमिका निभाएगी।

टर्निंग प्वाइंट हो सकता है महागठबंधन का दांव

कांग्रेस ने पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्ग को साधने के लिए जहां तेजस्वी को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया है। वहीं, सहनी को उपमुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाकर नीतीश कुमार की घेराबंदी की पटकथा लिख दी है। सहनी अति पिछड़ा वर्ग से आते हैं। उनकी जाति (मल्लाह) के मतदाताओं की बिहार में अच्छी खासी तादाद है। सहनी को उपमुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने से उनकी बिरादरी के मतदाता खुलकर महागठबंधन के पक्ष में आ सकते हैं। दिलचस्प बात ये है कि अति पिछड़ा वर्ग को साध कर ही नीतीश कुमार बिहार की राजनीति में अपना दमखम बरकरार रखने में कामयाब रहे हैं। अति पिछड़ा वोट बैंक पर जदयू की मजबूत पकड़ मानी जाती है। लेकिन इस बार महागठबंधन ने जदयू के इस वोट बैंक में सेंध लगाने का प्रयास कर नीतीश कुमार के सामने मुश्किल खड़ी कर दी है।

गहलोत की अहम भूमिका

कांग्रेस के प्रमुख रणनीतिकारों में शामिल राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसमें अहम भूमिका निभाई है। गहलोत और राजद प्रमुख लालू प्रसाद की मुलाकात के बाद महागठबंधन के कुनबे में चल रही आंतरिक कलह का पटाक्षेप हुआ है। इसके साथ ही गहलोत ने बड़े सधे अंदाज में महागठबंधन को एकजुट रखने का काम किया है और पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं को अपने पाले में लाने के लिए तेजस्वी और साहनी को आगे कर सियासी बिसात बिछा दी है। गहलोत ने इससे पहले भी गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रभारी का दायित्व निर्वहन करते हुए अपने राजनीतिक कौशल से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की पेशानी पर बल लाने का काम किया था। उस दौरान भाजपा बड़ी मुश्किल से गुजरात विधानसभा चुनाव जीत पाने में कामयाब हुई थी। अब गहलोत ने बिहार में राजग के खिलाफ व्यूह रचना तैयार करने का काम किया है।

अटकलों पर लगा विराम

कांग्रेस के इस दांव से यह तो तय हो गया है कि मुकेश साहनी अब महागठबंधन के साथ बने रहेंगे। पिछले कुछ दिनों में सहनी के महागठबंधन के साथ बने रहने को लेकर सियासी गलियारों में तमाम अटकलें तैर रही थी, जिस पर विराम लग गया है।

Created On :   23 Oct 2025 6:50 PM IST

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