New Delhi News: राज्यसभा में नियम 267 के दुरुपयोग पर सभापति ने जताई चिंता, कहा- नियम 267 लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव के समान नहीं

राज्यसभा में नियम 267 के दुरुपयोग पर सभापति ने जताई चिंता, कहा- नियम 267 लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव के समान नहीं
  • राज्यसभा में नियम 267, लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव के समान नहीं
  • नियम के दुरुपयोग पर सभापति ने चिंता जताई

New Delhi News. राज्यसभा के सभापति सीपी राधाकृष्णन ने शुक्रवार को उच्च सदन में नियम 267 के बढ़ते इस्तेमाल और दुरुपयोग को लेकर एक बार फिर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि नियम 267 के तहत लगभग प्रतिदिन सूचनाएं दी जा रही हैं, जिनका उद्देश्य सूचीबद्ध कार्य को स्थगित कराना होता है और अलग-अलग सदस्यों द्वारा उपयुक्त समझे जाने वाले मुद्दों पर चर्चा कराये जाने की मांग करना होता है। उन्होंने खेद जताते हुए कहा कि नियम 267 का प्रयोजन यह नहीं है।

सभापति ने इससे पहले गुरुवार को भी सदन की कार्यवाही शुरु होते ही सदस्यों की ओर से नियम 267 के तहत दिए गए नोटिस का जिक्र करते हुए कहा था कि वह राज्य सभा के प्रक्रिया तथा कार्य-संचालन विषयक नियमों के नियम 267 के अधीन दी जा रही सूचनाओं की स्थिति की समीक्षा करेंगे और अपना निर्णय देंगे। सभापति ने नियम 267 के उपबंधों को स्पष्ट करते हुए कहा कि राज्यसभा में नियम 267, लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव के समान नहीं है। स्थगन प्रस्ताव केवल लोकसभा के लिए है क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 75(3) का अनुप्रयोग वहीं होता है। राज्यसभा के सदस्यों को किसी भी प्रकार से स्थगन सूचना देने का प्राधिकार प्रदान करने का कोई भी संवैधानिक या प्रक्रियागत उपबंध विद्यमान नहीं है।

राधाकृष्णन ने कहा कि नियम 267 के अधीन किसी भी नियम को केवल उसी स्थिति में स्थगित किया जा सकता है जब वह विषय उसी दिन की सूचीबद्ध कार्यवाही से संबंधित हो । किसी भी सूचना में उस नियम का स्पष्ट उल्लेख किया जाना चाहिए जिसे निलंबित करने का प्रस्ताव है, तथा उसमें विधिवत रूप से तैयार किया गया प्रस्ताव भी शामिल होना चाहिए। सूचीबद्ध कार्यवाही से इतर किसी भी विषय पर दी गई सूचनाएं अमान्य होती हैं।

Created On :   5 Dec 2025 7:06 PM IST

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