इस प्लांट में रोज 10 टन ई-वेस्ट किया जा रहा रिसाइकल

10 ton of e-waste being recycled by this plant everyday in nagpur
इस प्लांट में रोज 10 टन ई-वेस्ट किया जा रहा रिसाइकल
इस प्लांट में रोज 10 टन ई-वेस्ट किया जा रहा रिसाइकल

डिजिटल डेस्क, नागपुर| नई दिल्ली अक्षय जैन दिल्ली के रहने वाले हैं। लंदन की ग्रीनविच यूनिवर्सिटी से एमबीए किया है। यूके में जॉब छोड़कर अक्षय भारत लौटे और ‘कबाड़वाले’ का काम शुरू किया। वो ई-वेस्ट की रिसाइकलिंग के लिए काम करते हैं। पढ़ाई के दौरान अक्षय ने यूरोप में देखा था कि किस तरह लोग पुराने लैपटॉप, फोन, कैलकुलेटर, बैट्री, रिमोट जैसे ई-वेस्ट लेकर ई-वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट के पास जाते हैं, फीस जमा करते हैं आइटम यूनिट को सौंप आते हैं। भारत में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी। ई-वेस्ट को भी अन्य कचरे के साथ डस्टबिन में डाल दिया जाता है।

इसके बाद 2016 में भारत लौटकर अक्षय ने नमो ई-वेस्ट मैनेजमेंट स्टार्टअप शुरू किया। वो साफ कर देते हैं कि यहां नमो का मतलब नरेंद्र मोदी नहीं, बल्कि जैन मंत्र में इस्तेमाल होने वाला शब्द ‘णमो’ है, जिसका अर्थ है नमस्कार। फरीदाबाद में लगे अक्षय के प्लांट में अब रोज करीब 10 टन ई-वेस्ट रिसाइकल किया जाता है। पिछले ढाई साल में वे करीब साढ़े आठ हजार टन ई-वेस्ट रिसाइकिल कर चुके हैं, जिनमें एक लाख से ज्यादा लैपटॉप, करीब 80 हजार मोबाइल फोन और करीब दो लाख अन्य घरेलू उपकरण शामिल हैं।

कंपनियों का भी ई-वेस्ट रिसाइकलिंग के लिए आ रहा
साल भर पहले तक देश का केवल 5% ई-वेस्ट प्रोसेस हो रहा था, पर सरकार की नई ई-वेस्ट नीति आने के बाद से ई-वेस्ट की रिसाइकलिंग 10% तक होने लगी है। बिना ट्रीटमेंट के ई-वेस्ट फेंक दिया जाए तो मिट्‌टी, हवा, पानी तीनों प्रदूषित होते हैं। अक्षय के प्लांट के पास कंपनियों का भी ई-वेस्ट रिसाइकलिंग के लिए आ रहा है। पिछले हफ्ते ही अक्षय ने सीधे यूजर्स से ई-वेस्ट जमा करने के लिए वेबसाइट भी शुरू की है, जहां 71 किस्म के इलेक्ट्रॉनिक आइटम की एक सूची है, जिसमें उनके हर दिन के रेट भी हैं।

71 तरह के आइटम रिसाइकल किए जाते हैं
अक्षय ने बताया कि- ‘हम या तो ई-वेस्ट की मरम्मत करके उसे दोबारा इस्तेमाल योग्य बना देते हैं या उसमें से कॉपर, स्टील, ब्रास, एल्यूमीनियम, लोहा, जिंक और प्लास्टिक को निकाल लेते हैं। लैड, मर्करी, फास्फोरस, सल्फर, आर्सेनिक, कैडमियम जैसे खतरनाक चीजों को अलग कर सरकार द्वारा तय साइट पर डंप करते हैं। फिलहाल सोना, चांदी, प्लेटिनम, पैैलेडियम जैसे कीमती तत्वों को निकालने की सुविधा नहीं है।

@अनिरुद्ध शर्मा

Created On :   30 April 2018 5:32 AM GMT

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