Nagpur News: राज्य वन्यजीव बोर्ड के फैसले से 6 राज्यों के टाइगर कॉरिडोर हो सकते हैं प्रभावित

राज्य वन्यजीव बोर्ड के फैसले से 6 राज्यों के टाइगर कॉरिडोर हो सकते हैं प्रभावित
  • वन्यजीव बोर्ड के निर्णय के खिलाफ जनहित याचिका
  • हाई कोर्ट ने 28 जुलाई तक मांगा जवाब

Nagpur News राज्य वन्यजीव बोर्ड ने ‘टाइगर कॉरिडोर’ निर्धारित करने के संबंध में निर्णय लिया है। सरकार के इस फैसले का महाराष्ट्र सहित मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, तेलंगाना और कर्नाटक राज्य से जुड़े व्याघ्र मार्ग पर गंभीर प्रभाव होने की संभावना जताते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में एक जनहित याचिका दायर की गई है। इस मामले में कोर्ट ने वन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रधान मुख्य वन संरक्षक और राज्य वन्यजीव बोर्ड (एसबीडब्ल्यूएल) को नोटिस जारी कर 23 जुलाई तक जवाब मांगा है।

यह है मामला : नागपुर खंडपीठ में वन्यजीव प्रेमी शीतल कोल्हे और उदयन पाटील ने यह जनहित याचिका दायर की है। जनहित याचिका पर न्या. नितीन सांबरे और न्या. सचिन देशमुख के समक्ष सुनवाई हुई। याचिका के अनुसार राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने 7 फरवरी 2023 को एक पत्र के माध्यम से 6 आधिकारिक स्रोतों से व्याघ्र मार्ग की पहचान के निर्देश दिए थे। हालांकि, राज्य बोर्ड ने इसकी अनदेखी करते हुए केवल एक ही रिपोर्ट के आधार पर निर्णय लिया। इससे अन्य वैज्ञानिक रिपोर्ट, क्षेत्रीय अध्ययन, बाघ संरक्षण योजना और भारतीय वन्यजीव संस्थान के अध्ययनों का उपयोग नहीं किया गया।

निर्देशों का पालन करने का आदेश देने का अनुरोध: याचिका में चेतावनी दी गई है कि इससे वन्यजीवों का प्रवास, जैवविविधता, प्रजनन और पारिस्थितिकी तंत्र की अखंडता खतरे में पड़ सकती है। याचिकाकर्ता ने राज्य बोर्ड के बैठक के निर्णय को रद्द करने और व्याघ्र मार्ग को निर्धारित करते समय एनटीसीए के 7 फरवरी 2023 के निर्देशों का पालन करने का आदेश देने का कोर्ट से अनुरोध किया है। याचिकाकर्ता की ओर से एड. निखिल पाध्ये और सरकार की ओर से मुख्य सरकारी वकील तथा वरिष्ठ विधिज्ञ देवेन चौहान ने पैरवी की।

केवल रिपोर्ट का आधार लिया : याचिका में बताया गया है कि राज्य वन्यजीव बोर्ड ने 17 अप्रैल 2025 को हुई बैठक में विदर्भ के लिए व्याघ्र मार्ग को निर्धारित करते समय केवल 2014 में प्रकाशित ‘कनेक्टिंग टाइगर पॉपुलेशंस फॉर लांग टर्म कंजर्वेशन’ रिपोर्ट के नक्शों और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की ‘डीएसएस’ प्रणाली का आधार लिया। इस निर्णय में एनटीसीए और राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (एनबीडब्ल्यूएल) की राय को शामिल नहीं किया गया, ऐसा आरोप भी याचिका में लगाया गया है।


Created On :   5 July 2025 1:55 PM IST

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