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दृष्टिदोष वाले 10वीं के छात्रों को मिलेंगे बड़े अक्षर वाले प्रश्नपत्र

डिजिटल डेस्क, मुंबई। दृष्टिदोष से ग्रसित कक्षा दसवीं सभी विद्यार्थियों को अब मांग करने पर बड़े फांट साइज वाले प्रश्नपत्र मिलेंगे। महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षा मंडल की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने बांबे हाईकोर्ट को यह जानकारी दी है। आगामी 3 मार्च से कक्षा दसवीं की परीक्षाएं शुरु हो रही हैं। हाईकोर्ट में दृष्टिदोष (सेरेब्रल पालसी) से ग्रसित कोकण की एक छात्रा ने याचिका दायर की थी। याचिका में छात्रा ने एरियल फांट में 20 प्वाइंट के अक्षर वाले प्रश्नपत्र उपलब्ध कराने की मांग की थी। अधिवक्ता पी डिसूजा के माध्यम से दायर की गई याचिका में दावा किया गया था कि राज्य सरकार की ओर से 16 अक्टूबर 2018 को जारी किए गए शासनादेश में दृष्टिदोष से ग्रसित विद्यार्थियों के लिए बड़े आकार के प्रश्नपत्र का प्रावधान किया गया है। न्यायमूर्ति एसएस शिंदे की खंडपीठ के सामने छात्रा की याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान शिक्षा बोर्ड की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता किरण गांधी ने कहा कि शिक्षा बोर्ड ने याचिकाकर्ता की कक्षा दसवीं की परीक्षा के दौरान बडे आकार का प्रश्नपत्र उपलब्ध कराने की मांग को मंजूर कर लिया है। कोकण विभागीय शिक्षा मंडल को इस संबंध में उचित निर्देश जारी किए गए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि दृष्टिदोष से ग्रसित कोई भी विद्यार्थी संबंधित अधिकारी के पास बड़े फांट वाले प्रश्नपत्र की मांग के लिए आवेदन कर सकता है। उसके आवेदन के आधार पर उसे भी बड़े फांट में प्रश्नपत्र मुहैया कराया जाएगा। यह जानकारी मिलने के बाद खंडपीठ ने कहा कि शिक्षा बोर्ड की ओर से दी गई इस जानकारी के चलते याचिकाकर्ता की समस्या का समाधान हो गया है। इसलिए हमे कोई आदेश जारी करने की जरुरत नहीं है। यह बात कहते हुए खंडपीठ ने याचिका को समाप्त कर दिया।
कभी-कभार घर आने वाले पति के रिश्तेदारों के खिलाफ नहीं चल सकता घरेलु हिंसा का मुकदमा
कभी-कभार घर आनेवाले पति के रिश्तेदारों के खिलाफ घरेलू हिंसा के आरोपों के तहत मामला नहीं चलाया जा सकता है। बांबे हाईकोर्ट ने पति की मां, बहन व मानसिक रुप से बीमार भाई के खिलाफ घरेलू हिंसा कानून के तहत कल्याण कोर्ट में चल रहे मामले को रद्द करते हुए यह फैसला सुनाया है। मामले से जुड़े दंपति का विवाह 16 अक्टूबर 2016 को हुआ था। विवाह के बाद दंपति पुणे मे रहने लगा जबकि पति के रिश्तेदार मुंबई के विक्रोली इलाके में रहते थे। इस बीच पति के रिश्तेदार पुणे में कभी-कभार आते थे। कुछ समय बाद पति-पत्नी के बीच अनबन शुरु हो गई। संबंधों में कडवाहट आने के बाद पत्नी अपने पिता के घर चली गई और वहां जाकर अपने पति सहित उसकी मां, बहन व भाई के खिलाफ कल्याण कोर्ट में घरेलू हिंसा कानून के तहत मामला दायर किया। जिसमें उसने (पीड़िता) ने दावा किया कि उसकी ननद अच्छी रोटी न बनाने को लेकर उससे झगड़ा करती थी। उसकी बनाई रोटी को उसकी सास व उसका पति भी पसंद नहीं करते थे। बहू (पीड़िता) के आरोपों का खंडन करते हुए सास, ननद व भाई ने मामला रद्द करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में आवेदन दायर किया था। जिसमें कहा गया था कि वे कभी-कभार ही पुणे जाते थे। वे पीड़िता के साथ स्थायी रुप से साथ नहीं रहते थे। मामले से जुड़े तथ्यों व इलाज से जुड़े रिकार्ड पर गौर करन के बाद न्यायमूर्ति एएम बदर ने कहा कि कभी-कभार पति के घर जानेवाले उसके रिश्तेदारों के खिलाफ घरेलू हिंसा के आरोपों के तहत मामला नहीं चलाया जा सकता। क्योंकि वे बेहद कम समय के लिए पीड़िता के साथ रहे हैं। पति के रिश्तेदारों के छोटे दौरे उनके खिलाफ घरेलू हिंसा कानून की धारा 12 के तहत मामला चलाने के लिए पर्याप्त नहीं है। यह कहते हुए न्यायमूर्ति ने पति के रिश्तेदारों के खिलाफ कल्याण कोर्ट में चल रहे मामले को रद्द कर दिया। न्यायमूर्ति ने पति के खिलाफ इस मामले को कायम रखा है।
Created On :   22 Feb 2020 6:18 PM IST