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200 किलो वजनी महिला - अस्पताल की पहली मंजिल तक शिफ्ट करने में गांववालों के छूटे पसीने

डिजिटल डेस्क, अमरावती। जिला अस्पताल में एक बेहद वजनी महिला मरीज को पहली मंजिल तक शिफ्ट करना किसी बड़े टस्क से कम नहीं रहा। महिला को शिफ्ट करने के चक्कर में गांववालों तक का दम फूल गया, जैसे तैसे महिला को इलाज के लिए कमरे में शिफ्ट किया गया, उसके बाद जाकर परिवार वालों की जान में जान आई, क्योंकि पिछले आठ दिनों से परिजन इसी पशोपेश में थे कि महिला को आखिर पहली मंजिल तक कैसे शिफ्ट किया जाए, क्योंकि अस्पताल स्टाफ ने जब कोशिश की, तो महिला के वजन के आगे सभी ने घुटने टेक दिए, हालांकि महिला को घर से अस्पताल तक लाने में भी परिवारवालों को काफी मशक्कत करनी पड़ी, इस दौरान महिला को चोट भी लगी थी।
अस्पताल स्टाफ ने असमर्थता जताकर जब अपने हाथ खड़े कर दिए, तो परिवारवालों ने गांववालों से गुहार लगाई, जिसके बाद कुछ रिश्तेदारों और जान पहचान वालों ने मदद का हाथ बढ़ाया।
सीने में दर्द की वजह से महिला को कैजुअल्टी में भर्ती कराया गया था। उसका वजन 200 किलो है। महिला 8 दिन से जमीन पर लगे बिस्तर पड़ी थी। पहले दिन उसे पलंग पर लिटाया गया था, लेकिन पलंग टूटने लगा, तो उसके लिए जमीन पर बिस्तर लगा दिया गया। फिर उसे पहली मंजिल पर बने वार्ड 2 में शिफ्ट करवाना था, लेकिन लोग नहीं मिल रहे थे। आखिरकार गुरुवार 17 नवंबर की दोपहर जब 11 लोग जमा हुए, तब जाकर उसे पलंग के साथ सीढ़ियों के जरिए वार्ड 2 में शिफ्ट करवाया गया।
जानकारी के अनुसार विशाखा कैलाश मोहोड की उम्र 38 साल है और वह चांदुर बाजार तहसील के ब्राह्मणवाड़ा थड़ी की रहने वाली है। कुछ दिनों से बीमार है। स्थानीय स्तर पर उपचार की सुविधा उपलब्ध नहीं होने की वजह से उसके परिजन ने लोडिंग ऑटो में जैसे-तैसे बैठाया, इस दौरान एक-दो बार महिला गिर भी गई। जैसे तैसे गुरुवार 10 नवंबर को परिजन उसे इर्विन अस्पताल लेकर पहुंचे। चिकित्सकों ने जांच व परामर्श के बाद उसे वार्ड 2 के लिए रेफर कर दिया, लेकिन महिला का वजन अधिक होने की वजह से उसे उठाकर ले जाने की परेशानी थी।
थायरॉइड व खून की कमी से बढ़ा मोटापा
विशाखा मोहोड ने बताया कि उनके दो बच्चे हैं। पहली बेटी 18 वर्ष की है और बेटा 14 वर्ष का है। बेटे के जन्म के दौरान सिजेरियन ऑपरेशन करना पड़ा था, जिसके बाद थायरॉइड हो गया। शुरुआती दिनों में उनका वजन करीब 80 -90 किलो था और वह घर के सभी काम करती थी, धीरे-धीरे वजन बढ़ने लगा। 6-7 सालों में वजन बढ़कर 200 किलो होने की वजह से वह चलने में असमर्थ हो गई, अब एक ही स्थान पर बैठकर काम करती हैं। नहाने से लेकर अन्य काम में पति और बेटी मदद लगती है।
मजदूरी के कारण इलाज करना मुश्किल
पति कैलाश मोहोड ने बताया कि वह खेत में मजदूरी करता है। कुछ दिनों से सूजन तथा रक्त की कमी हो गई। आर्थिक स्थित ठीक न होने की वजह से विशाखा का इलाज नहीं हो पा रहा था। जिला अस्पताल भर्ती करवाया है, जिससे बिना खर्च उपचार हो सके।
महिला वार्ड में जाने के लिए न रैम्प न लिफ्ट
जिला अस्पताल में पहली मंजिल पर बने महिलाओं के वार्ड 1 और 2 में जाने के लिए सीढ़ियां ही हैं। न तो रैम्प है और न ही लिफ्ट है, ऐसे में स्ट्रेचर या वीलचेयर से आने वाले मरीजों को उठाकर ले जाना पड़ता है। गुरुवार की दोपहर मरीज विशाखा मोहोड को वार्ड 2 में ले जाने के लिए भी ऐसा ही करना पड़ा। हैरानी की बात यह है कि वार्ड 2 में शिफ्ट होने के लिए महिला मरीज 8 दिन से इंतजार कर रही थी।
जारी है महिला का उपचार
डॉ. दिलीप सौंदले, सिविल सर्जन के मुताबिक रक्त की कमी और मोटापा आदि बीमारियां महिला को है। एनीमिया का उपचार जारी है। अस्पताल की बिल्डिंग पुरानी होने की वजह से उसकी सीढ़ियां छोटी हैं और लिफ्ट व रैम्प नहीं है। इसे लेकर विचार किया जाएगा।
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Created On :   17 Nov 2022 9:00 PM IST