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सौर उर्जा पर चलेंगी कपड़ा मिलें तो सरकार के बचेंगे 2200 करोड़
डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य सरकार चाहती है कि अगले तीन वर्षों के भीतर सभी कपड़ा मिले सौर ऊर्जा पर चलें, लेकिन इसके लिए ऊर्जा विभाग का शासनादेश रुकावट पैदा कर रहा है। ऊर्जा विभाग ने मिलो को सिर्फ एक मेगावाट सौर ऊर्जा के इस्तेमाल की अनुमति दी है। जबकि मिल मालिक का कहना है कि इससे हर रोज सिर्फ ढ़ाई घंटे ही उत्पादन हो सकेगा। हालांकि राज्य की कपड़ा मिलों के सौर ऊर्जा पर चलने से सरकार को सब्सिडी के तौर पर दी जाने वाली 2200 करोड़ रुपए की बचत हो सकेगी। वस्त्रोद्योग विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि सरकार की योजना है कि अगले तीन वर्षों के दौरान राज्य की कपड़ा मिलों को सौर ऊर्जा से चलाया जाए। इससे बिजली सब्सिडी के तौर पर सरकार की तरफ से खर्च की जाने वाली 2200 करोड़ रुपए की राशि की बचत हो सकेगी।
कपड़ा मिलो को सौर ऊर्जा पर चलाने में ऊर्जा विभाग की एक शर्त रुकावट पैदा कर रही है। महाराष्ट्र राज्य सूत मिल महासंघ के अध्यक्ष अशोक स्वामी ने ‘दैनिक भास्कर’ से बातचीत में कहा कि ऊर्जा विभाग का कहना है कि कपड़ा मिल केवल एक मेगावाट सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करें। इससे हमारी मिले हर रोज सिर्फ दो से ढ़ाई घंटे ही चल सकेंगी। इसलिए हमने सरकार के सामने मांग रखी है कि एक मेगावाट की शर्त नहीं होनी चाहिए। हमें कम से कम ढ़ाई मेगावाट के सौर ऊर्जा प्लांट लगाने की अनुमति मिलनी चाहिए। साथ ही सौर ऊर्जा प्लांट लगाने पर होने वाले खर्च के लिए भी सरकार हमारी मदद करे।
स्वामी ने कहा कि राज्य सरकार ने यदि हमारी यह मांग नहीं मानी तो हम अपनी मांग को लेकर महाराष्ट्र राज्य विद्युत नियामक आयोग (एमईआरसी) के पास जाएंगे। स्वामी ने बताया कि एक उत्पादन इकाई के लिए हर महिने 11 लाख यूनिट बिजली की जरुरत होती है। जबकि 24 घंटे उत्पादन ईकाई चलाने के लिए 8 मेगावाट सौर ऊर्जा की जरुरत होगी। प्रमुख सचिव वस्त्रोद्योग विभाग पराग जैन के मुताबिक महाराष्ट्र राज्य सूत मिल महासंघ के पदाधिकारियों के साथ उपमुख्यमंत्री अजित पवार की मौजूदगी में बैठक हुई थी। महासंघ की मांग पर सरकार विचार कर रही है। इस बारे में जल्द फैसला लिया जाएगा।
सौर ऊर्जा से सभी को फायदा
कपड़ा मिलों के सौर ऊर्जा पर चलने से मिल मालिकों सहित सरकार को भी लाभ होगा। फिलहाल कपड़ा मिलो के लिए सरकार प्रति यूनिट 8.70 रुपए की दर से बिजली देती है। इस पर वस्त्रोद्योग विभाग 3 रुपए प्रति यूनिट सब्सिडी देता है। जिससे विभाग को हर साल 2200 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ते हैं। जबकि सौर ऊर्जा की उत्पादन लागत प्रति यूनिट 3 रुपए आएगी। इससे बगैर सरकारी सब्सिडी के सस्ती बिजली मिल सकेगी। स्वामी कहते हैं कि एक मेगावाट वाले सौर ऊर्जा प्लांट लगाने के लिए 4 एकड़ जमीन और 4 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे। जमीन हमारे पास है पर खर्च वहन करने में हम सरकार से आर्थिक मदद चाहते हैं। फिलहाल महाराष्ट्र में 140 सहकारी सूत मिल और करीब 150 निजी मिले हैं। राज्य की सहकारी सूत मिलो के पास करीब 1200 एकड़ अतिरिक्त जमीन है जिस पर सौर ऊर्जा प्लांट लगाए जा सकते हैं। इसमें से 177 एकड़ जमीन विदर्भ में उपलब्ध है।
Created On :   24 March 2021 7:21 PM IST