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जिले के जंगलों में आए 23 नए मेहमान

डिजिटल डेस्क, अमरावती। इस वर्ष पोहरा, धारणी, चिखलदरा, चांदुर बाजार व जिले के अन्य जंगलों में लगभग 23 से अधिक शावकों ने जन्म लिया है। जिससे जंगल में बहार आई है। इन 23 शावकों के रखरखाव पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है तथा शिकारियों व अन्य खतरों से भी इनकी रक्षा की जा रही है। जिला जंगल तथा ग्रामीण क्षेत्रों से घिरा हुआ है। इसी खुबसूरती के चलते विदर्भ में नंदनवन के तौर पर इस जिले की पहचान होती है। अमरावती के जंगलों में बाघ, तेंदुए, हिरण, नीलगाय, जंगली भैंसें व अन्य आकर्षक प्राणियों का समूह रहता है। कई बार यह वन्य प्राणी जंगलों की सीमा को लांघ कर रिहायशी इलाकों में भी घुस जाते हैं। वनविभाग के कर्मचारियों को तेंदुओं तथा गांववासियों को सुरक्षित करने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ता है, लेकिन अमरावती वनविभाग का यह संघर्ष व्यर्थ नहीं जा रहा है, ऐसा कहा जा सकता है। क्योंकि तेंदुओं की संख्या जिले के जंगलों में बढ़ रही है। साथ ही इनके शिकार पर भी काबू पाया गया है। 9 साल पहले इन आकर्षक प्राणियों की संख्या पर खतरा मंडरा रहा था। शिकारी इनका शिकार करते थे। दांत, खाल तथा अन्य अंगों को मोटी कीमत पर बेच देते थे। इन सब कृत्यों पर रोक लगाने के लिए वनविभाग ने बड़े स्तर पर प्रयास किए तथा जंगल के संरक्षण के लिए भी परिश्रम किया। जिसका नतीजा अब दिखने लगा है। तेंदुओं की संख्या में हुई बढ़ोतरी तथा उनके शिकार और मृत्यु दर में आई कमी का सबसे बड़ा श्रेय स्थानीय वनविभाग को जाता है। क्योंकि वनविभाग ने ही इन विलुप्त हो रहे आकर्षक प्राणियों को जीवित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
प्रवीण चव्हाण, जिला वन्य अधिकारी के मुताबिक जंगल तथा यहां रहनेवाले प्राणियों की रक्षा हम सब का कर्तव्य है। पर्यावरण में संतुलन बनाए रखने के लिए सभी चीजों की आवश्यकता है। तेंदुओं की घटती संख्या पर काबू करने के लिए हमने निरंतर प्रयास किए। जो कुछ हद तक सफल भी हुए हैं। हमारे इन प्रयासों में वन्य प्रेमियों ने भी हमारी मदद की है। क्योंकि कोई भी कार्य बिना जनजागृति के पूरा नहीं होता। इस जनजागृति को बढ़ाने का कार्य वन्यप्रेमियों द्वारा भी किया गया है।
Created On :   26 Oct 2021 10:24 PM IST