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यूनिवर्सिटी में 25 नए पाठ्यक्रम होंगे शामिल, स्थापित होगा ज्ञानपीठ केन्द्र

डिजिटल डेस्क,शहडोल। पं. शंभूनाथ शुक्ला यूनिवर्सिटी नए स्वरूप में विकसित हो रहा है। यहां परंपरागत पाठ्यक्रमों के साथ क्षेत्रीय आवश्यकताओं के अनुरूप स्नातक स्तर से करीब 25 नए पाठ्यक्रम संचालित किए जाने की तैयारी की जा रही है। यह पाठ्यक्रम अगले सत्र से शुरू कर दिए जाएंगे। इसके अलावा शोधकार्य को बढ़ावा देने ज्ञानपीठ केन्द्र की स्थापना की जा रही है। इसका उद्देश्य डिग्रीधारी छात्रों को रोजगार के अवसर प्रदान करना है। ज्ञातव्य है कि वर्षो से इस बात की आवश्यकता महसूस की जाती रही है कि परंपरागत विषय विशेषतया कला संकाय के ऐसे हैं जिनसे डिग्री लेने के बाद रोजगार के अवसर नहीं मिलते हैं। अध्ययन के अवसर बढ़ने से छात्र-छात्राएं रोजगार से जोडने वाले पाठ्यक्रमों से डिग्री लेकर आत्मनिर्भर बन सकेंगे। इस संबंध में कुलपति द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं।
यह पाठ्यक्रम होंगे संचालित
बताया गया कि जिन पाठ्यक्रमों के लिए प्रयास किए जा रहे हैं उनमें बीएड तीन वर्षीय पाठ्यक्रम, बीसीए, एमसीए, मेडिकल लेबोरेटरी, बीए एलएलबी ऑनर्स, बीए-बीएससी ऑनर्स, एमबीए मैनेजमेंट, बीपेड स्पोर्ट्स, म्यूजिक, फाइन आर्ट पेंटिंग, एम फिल, पीएचडी आदि सहित करीब 25 पाठ्यक्रम संचालित किए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इनमें ऑनर्स कोर्स, मैनेजमेंट, एम फिल आदि कोर्सों के लिए विद्यार्थियों को अन्य शहरों में जाकर पढ़ाई करनी पड़ती थी। मेडिकल लेबोरेट्री टेक्नॉलाजी का पाठ्यक्रम ऐसा है जिसमें छात्र-छात्राओं को मेडिकल सेवाओं में रोजगार के अवसर मिलेंगे। कंप्यूटर कोर्स के साथ ही संगीत व फाइन ऑर्ट पाठ्यक्रम भी रोजगार मूलक हैं।
ज्ञानपीठ अध्ययन केन्द्र होगा स्थापित
यूनिवर्सिटी में जनजाति ज्ञानोदय पीठ की स्थापना की जाएगी जिससे लुप्त होती प्रदेश की जनजाति की सभ्यता, संस्कृति का अध्ययन कर संरक्षण की दिशा में प्रयास किया जा सके। ज्ञानपीठ में पांच विषयों पर अध्ययन किया जाएगा। जिनमें हिन्दी काव्य में जनजातीय चेतना, मप्र सभ्यता संस्कृति, मप्र स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका, जनजाति परंपरा, रीति रिवाज उनकी औषधि पद्धति व जल संरक्षण के प्रयास का गहन अध्ययन किया जाएगा। साथ ही इस पर शोध कार्य भी किए जा सकेंगे। जनजाति सभ्यता में औषधि और जल संरक्षण के विशेष उपाय किए जाते थे, उनकी तलाश की जाएगी और वर्तमान संदर्भों में उनकी उपयोगिता पर विचार विमर्श किया जाएगा। इस ज्ञानपीठ के संचालन और व्यवस्था के लिए पृथक से डायरेक्टर नियुक्त किए जाएंगे और अमले की व्यवस्था की जाएगी। इसके अलावा प्राचीन जनजाति सभ्यता को समझने के लिए समकालीन भाषा, औजार, यंत्र, भोजन तथा गहने आदि का संग्रह कर उनका अध्ययन किया जाएगा। साथ ही उसके संरक्षण की दिशा में प्रयास किया जाएगा।
Created On :   16 Sept 2017 1:23 PM IST