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जान जोखिम में डालकर रहते हैं परिवार -चट्टान खिसकने से 29 साल में गई 290 की जान
डिजिटल डेस्क, मुंबई। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में हर साल बरसात के दौरान चट्टान खिसकने के चलते लोगों की जान जाती है। पिछले 29 सालों में चट्टान खिसकने से होने वाले हादसों में 290 लोगों की जान गई है और 300 से ज्यादा जख्मी हुए हैं लेकिन प्रशासन इसका हल निकाल पाने में नाकाम है। मुंबई की 36 में से 25 विधानसभा क्षेत्रों में ऐसे 257 ठिकाने हैं जहां लोग पहाड़ियों पर रहते हैं और इन्हें खतरनाक इलाकों में शामिल किया गया है। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली के मुताबिक इन इलाकों की 22483 झोपड़पट्टियों में से 9657 को पहले स्थानांतरित करने की सिफारिश मुंबई झोपड़पट्टी सुधार मंडल ने राज्य सरकार से की गई थी। बाकी झोपड़पट्टियों को बचाने के लिए पहाड़ी के आसपास तटबंध बनाने की सिफारिश की गई थी।
गलगली ने बताया कि उन्होंने खुद बरसात से पहले इनमें से 327 जगहों को लेकर राज्य सरकार को सतर्क किया था। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। साल 1992 से 2021 तक चट्टान खिसकने से हुई दुर्घटनाओं में 290 लोगों की जान जा चुकी है और 300 से ज्यादा लोग जख्मी हो चुके हैं लेकिन सरकार ने इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया। अगर सरकार ने मुंबई झोपड़पट्टी सुधार समिति की सिफारिशों पर अमल किया होता तो ऐसे हादसों में होने वाली लोगों की मौतों को रोका जा सकता था। गलगली ने बताया कि उन्होंने इस मामले में सरकार से सवाल जवाब किया तो 2011 में तत्कालीन मुख्यमंंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने इसकी रूपरेखा तैयार करने के निर्देश दिए थे। लेकिन दस साल बाद भी इस पर आगे कोई कार्रवाई नहीं हुई और ऐक्शन टेकन प्लान तैयार नहीं हुआ।
Created On :   18 July 2021 9:08 PM IST