55 हजार अनुयायियों ने ली बौद्ध धर्म की दीक्षा,दीक्षाभूमि पर जुटे बौद्ध अनुयायी 

55 thousand followers took the initiation of buddhism
55 हजार अनुयायियों ने ली बौद्ध धर्म की दीक्षा,दीक्षाभूमि पर जुटे बौद्ध अनुयायी 
55 हजार अनुयायियों ने ली बौद्ध धर्म की दीक्षा,दीक्षाभूमि पर जुटे बौद्ध अनुयायी 

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  मंगलवार को दीक्षाभूमि पर 63वां धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस मनाया जाएगा। इसके लिए दीक्षाभूमि पर बौद्ध अनुयायियों का आना शुरू हो गया है। जापान, थाईलैंड, म्यांमार, चीन आदि देशों सहित भारत के उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश व अन्य राज्यों से लोगों का आना शुरू हो गया है। सोमवार शाम तक हजारों की संख्या में बौद्ध अनुयायी दीक्षाभूमि पर पहुंच चुके थे। दीक्षाभूमि पर बौद्ध धर्म की दीक्षा लेने वालों की संख्या भी इस साल बढ़ गई है। रविवार से सुबह 9 बजे से बौद्ध धम्म दीक्षा समारोह की बौद्ध धर्मगुरु भदंत आर्य नागार्जुन सुरेई ससाई की अध्यक्षता में शुरूआत हुई। रविवार को करीब 14 हजार 750 लोगों ने बौद्ध धर्म की दीक्षा ली थी। सोमवार को यह सिलसिला आगे बढ़ते गया। दोपहर तक 15 हजार तो शाम तक यह आंकड़ा 40 हजार तक पहुंचने का दावा किया गया है। दो दिन में करीब 55 हजार लोगों ने बौद्ध धर्म की दीक्षा ली।

धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस यानी मंगलवार को इसमें और बढ़ोतरी होने का दावा किया गया है। इसी दौरान करीब 100 लोगों ने भी श्रामणेर की दीक्षा ली। वे श्रामणेर के रुप में तीन दिन दीक्षाभूमि में चीवर में रहेंगे। बौद्ध धर्म की दीक्षा लेने वालों में सर्वाधिक उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश और दक्षिण भारत के नागरिक बताए जा रहे हैं। हालांकि दीक्षाभूमि पर धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस समारोह की शनिवार से ही शुरूआत हो चुकी है। रोजाना विविध सामाजिक व धार्मिक आयोजन किए जा रहे है। मुख्य समारोह मंगलवार 8 अक्टूबर को शाम 6 बजे होगा। समारोह की अध्यक्षता भदंत आर्य नागार्जुन सुरेई ससाई करेंगे। प्रमुख अतिथि के रुप में डॉ. परमहा अनेक (थाईलैंड), महाउपासक टेंग ग्यार (म्यांमार) उपस्थित रहेंगे। चुनावी आचारसंहिता होने की वजह से राजनीतिक नेताओं को मंच से फिलहाल दूर रखा गया है। किसी भी नेता को आमंत्रित नहीं किया गया है। 

हर साल बिकती है करीब 3 करोड़ की किताबें

धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस के उपलक्ष्य में हर साल दीक्षाभूमि पर बड़े पैमाने पर दुकानें लगती है। इसमें बड़ी संख्या किताबों के दुकानों की होती है। बौद्ध साहित्य से लेकर डॉ. बाबासाहब आंबेडकर, महात्मा गांधी, अन्य धार्मिक ग्रंथ से लेकर सांस्कृतिक, धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक साहित्य आसानी से उपलब्ध होता है। इस अवसर पर देश-विदेश से ज्यादातर लोग सिर्फ किताबें खरीदने के लिए आते है। देश-विदेश की साहित्य सामग्री यहां लोगों को आसानी से एक जगह मिल जाती है। ऐसे में बड़े पैमाने पर लोग यहां से किताबे और बौद्धिक साहित्य ले जाते है। एक अनुमान के मुताबिक, हर वर्ष करीब 3 करोड़ की पुस्तकों की यहां बिक्री होती है। जिस कारण अब धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस किताबों के मेले के रुप में भी प्रसिद्ध हो रहा है। अब ये साहित्य सीडी व अन्य डिजिटल माध्यम से भी उपलब्ध कराया जा रहा है।

जगह-जगह भोजनदान कार्यक्रम

दीक्षाभूमि पर लाखों की संख्या में आने वाले बौद्ध अनुयायियों को देखते हुए मनपा ने यहां पीने के पानी से लेकर प्रसाधनगृह तक की व्यवस्था की है। स्वच्छता व साफ-सफाई के लिए बड़ी संख्या में कर्मचारियों की टीम तैनात की गई है। बारिश होने की स्थिति में लोगों के रुकने के लिए आईटीआई सहित अन्य जगह रुकने की व्यवस्था की है। पुलिस ने जगह-जगह बंदोबस्त लगाकर कानून व्यवस्था बनाए रखने के इंतजाम किए है। विशेष यह कि आने वाले लोगों की बड़ी संख्या को देखते हुए शहर की सामाजिक, राजनीतिक व धार्मिक संस्थाओं ने जगह-जगह भोजनदान कार्यक्रम आयोजित किए है। ताकि लोगों को असुविधा का सामना न करना पड़े। 

Created On :   7 Oct 2019 10:17 AM GMT

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