प्लॉट के लिए 18 लोगों ने भरे 90.77 लाख, बिल्डर की मौत के बाद रजिस्ट्री से मुकरे परिजन

90 lakhs are paid by 18 people, Now suffered after death of builder
प्लॉट के लिए 18 लोगों ने भरे 90.77 लाख, बिल्डर की मौत के बाद रजिस्ट्री से मुकरे परिजन
प्लॉट के लिए 18 लोगों ने भरे 90.77 लाख, बिल्डर की मौत के बाद रजिस्ट्री से मुकरे परिजन

डिजिटल डेस्क, नागपुर। लिमेश कुमार जंगम। दिहाड़ी पर काम करने वाले 18 से अधिक गरीब मजदूरों ने अपने घर का सपना देखा और इसी बीच उन्हें उमरेड मार्ग स्थित पंचवटी आश्रम के सामने मौजूद एस.बी.हाउसिंग एजेंसी ने सस्ते प्लॉट का ऑफर दिया, जो चार से सात लाख के बीच थे। प्लॉट का एग्रीमेंट हुआ और लोगों ने किश्तें चुकाना शुरू कर दी। सालों तक पाई-पाई जमा कर किस्तों के रूप में 90.77 लाख रुपए चुकाए। रजिस्ट्री करने की बात आई तो एजेंसी के संचालक बीमार होने की बात कहकर टालते रहे और एक दिन उनका निधन हो गया। इसके बाद एजेंसी की जिम्मेदारी उनके परिजनों पर आ गई। शुरुआत में तो उन्होंने भी रजिस्ट्री करने की बात कही, मगर बाद में मुकर गए। आशियाने का सपना देख रहे संबंधित परिवारों को ऐसा झटका लगा कि सालों तक वे उबर नहीं पाए। जीवन भर की बचत ‘दाव’ पर लगाने के बाद अब ठगा महसूस कर रहे हैं।

परेशान कर रहे सवाल
पद्मिनी सहारे, संचालिका, एस.बी. हाउसिंग एजेंसी से सीधी बात

सवाल : 18 लोगों के 90.77 लाख रुपए लेने के बाद भी आज तक उनकी रजिस्ट्री क्यों नहीं हुई?
जवाब : मैं इसका जवाब अभी नहीं दे सकती। मैं बीमार हूं और अस्पताल में भर्ती हूं। बाद में बात करूंगी।

(9 दिन बाद)

सवाल :  क्या आप अस्पताल से डिस्चार्ज हो गईं हैं?आपकी तबीयत कैसी है?
जवाब : हां मैं अब ठीक हूं, अभी घर पर ही हूं

सवाल : पैसे लेने के बाद भी लोगों की रजिस्ट्री नहीं करने के मामले में आपका क्या कहना है? 
जवाब :मैं इस मामले में अभी कुछ नहीं बता सकती। पार्टी से बात करके के बाद ही कुछ बताउंगी

सवाल : पार्टी कौन है? क्या कोई राजनीतिक पार्टी है?
जवाब: मैं यह भी आपको नहीं बता सकती। 

सवाल :  चलिए, इतना तो बता दीजिए की पीड़ितों की जमीन कब मिलेगी? कितने साल और लगेंगे?
जवाब : मैं कैसे बता दूं कि उन्हें जमीन कब मिलेगी।

सवाल :  आप इसके लिए जिम्मेदार हैं और आपको इसका जवाब देना होगा?
जवाब : मैं कुछ भी कहना नहीं चाहती हूं, आप मुझसे ऐसे सवाल कर परेशान मत करें।

उमरेड मार्ग स्थित पंचवटी आश्रम के सामने मौजूद एस.बी.हाउसिंग एजेंसी के संचालक सतीश नत्थूजी सहारे से जमीन का सौदा हुआ था। रजिस्ट्री व प्लॉट पर कब्जे का समय आया तो अचानक संचालक बीमार हो गए और उनकी मृत्यु हो गई। पश्चात एजेंसी व जमीन का मालिकाना हक उनकी पत्नी पद्मिनी सहारे को मिला। शुरुआत में वे पीड़ितों का हक दिलाने के लिए अनेक माह तक आश्वासन देती रहीं। फिर अचानक मुकर गईं और एजेंसी का कार्यालय ही बंद कर दिया। पीड़ित लोग संचालक पद्मिनी सहारे व उनके कार्यालय को आज भी खोज रहे हैं। 

कारनामा : 45 प्लॉट 90 लोगों को बेचे
‘जमीन की जंग, भास्कर के संग’ नामक पहल जब हमने की तो 18 बेघर अपना दर्द लेकर सामने आए। उनकी 90 लाख 77 हजार 620 रुपए की रकम लुट चुकी है। 33542 वर्ग फीट जमीन के लिए संघर्ष जारी है। दिहाड़ी कर थके कदमों से घर लौटने के बाद वे नम आंखों से हाउसिंग एजेंसी के संचालकों को खोजने निकल पड़ते हैं। इस बीच जानकारी मिली है कि मृतक सतीश सहारे ने 45 प्लॉट 90 लोगों में बेच दिया था। फर्जीवाड़े के इस दलदल में फंसे बेघरों को उनके जमीन का मालिकाना हक दिलाने के लिए प्रशासन का कोई चेहरा अब तक आगे नहीं आ पाया है। प्रशासन के किस विभाग के पास न्याय की गुहार लगाएं, यह जानकारी भी किसी के पास उपलब्ध नहीं है।

पीड़ितों को पुलिस की शरण में जाना चाहिए

एडवोकेट हितेश खंडवानी के मुताबिक जमीन से जुड़े धोखाधड़ी के मामलों में पीड़ितों के पास दो तरीके के विकल्प होते हैं। सिविल या फिर क्रिमिनल प्रोसेडिंग का केस दर्ज किया जा सकता है। दस्तावेज सही हैं और डेवलपर ने यदि किसी स्तर पर रजिस्ट्री या सेलडीड रोक दी है तो सिविल कोर्ट में मुकदमा दायर कर राहत प्राप्त की जा सकती है। लेकिन यदि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर प्लॉट बेचा गया है तो पीड़ित को सीधे पुलिस की शरण में जाना चाहिए। ऐसे मामलों में डेवलपर के खिलाफ भादंवि की धारा 467, 471, 420, 408, 406, 409, 465 के तहत अापराधिक मामला बनता है।
 

Created On :   25 July 2018 10:33 AM GMT

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