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Nagpur News: जब 70 फीट कुएं में गिरा बंदर , जानिए टीम ने कैसे निकाला बाहर

- टीटीसी का रोमांचक रेस्क्यू
- घंटों करनी पड़ी मशक्कत
Nagpur News नागपुर के बोर व्याघ्र प्रकल्प के कवडस वनपरीक्षेत्र में एक अनोखा हादसा सामने आया, जब एक उछलकूद करता बंदर किसान के खेत में बने 70 फीट गहरे कुएं में जा गिरा। गनीमत था कि कुएं का एक हिस्सा सूखी मिट्टी से भरा था, जिसने बंदर की जान बचा ली। लेकिन गहराई और दीवारों की चिकनाहट ने उसे बाहर निकलने से रोक दिया। बंदर की चीख-पुकार सुनकर किसान जब कुएं के पास पहुंचा, तो उसे समझ नहीं आया कि इस संकटग्रस्त प्राणी को कैसे बचाया जाए।
तभी किसी ने सेमिनरी हिल्स के ट्रांजिट ट्रीटमेंट सेंटर (टीटीसी) का जिक्र किया। किसान ने फौरन टीटीसी को सूचना दी, और कुछ ही देर में उनकी रेस्क्यू टीम घटनास्थल पर पहुंच गई। लेकिन चुनौती आसान नहीं थी। 70 फीट की गहराई, डरा हुआ बंदर, और उसका आक्रामक रवैया—सब कुछ जोखिम भरा था। फिर भी, टीटीसी के कर्मचारियों ने हिम्मत न हारते हुए टीम के सदस्य आशीष महल्ले और चेतन बारस्कर ने कमर में रस्सी बांधी और कुएं में उतरने का फैसला किया। जैसे ही वे नीचे पहुंचे, डर से भरा बंदर इधर-उधर भागने लगा। कभी वह गुर्राता, तो कभी आक्रामक होने की कोशिश करता। लेकिन आशीष और चेतन ने धैर्य नहीं खोया। घंटों की कड़ी मशक्कत के बाद, उन्होंने कैचपोल की मदद से बंदर को पकड़ लिया।
अब सवाल था कि उसे सुरक्षित ऊपर कैसे लाया जाए। इसके लिए ऊपर से एक पिंजरा रस्सी के सहारे नीचे उतारा गया। बंदर को पिंजरे में डालकर सावधानी से ऊपर खींचा गया। जब बंदर बाहर आया, तो वह थका और अस्वस्थ नजर आ रहा था। टीटीसी की टीम उसे तुरंत सेमिनरी हिल्स ले गई, जहां उसका इलाज किया गया। मंगलवार सुबह, जब वह पूरी तरह स्वस्थ हो गया, उसे हिंगणा के जंगल में आजाद कर दिया गया। इस रोमांचक बचाव कार्य में आरएफओ शालिन शिरपुरकर, उपवनसंरक्षक डॉ. भारतसिंह हाडा, वन अधिकारी मंगेश ठेंगडे, कुंदन हाथे और पूरी टीम का योगदान रहा। यह रेस्क्यू न केवल एक बंदर की जिंदगी बचाने की कहानी है, बल्कि इंसान और प्रकृति के बीच गहरे रिश्ते का प्रतीक भी है।
अक्सर गिर जाते हैं वन्यजीव : नियमानुसार किसी भी खेत, में बने कुएं में सुरक्षा दीवार व इसके उपर जाली लगा रहना आवश्यक है, ताकि कोई भी वन्यजीव इसके भीतर न गिरे। लेकिन कई किसानों द्वारा इस नियमों की ओर ध्यान नहीं दिया जाता है। जिसके कारण आये दिन ऐसी घटनाएं होती रहती है। खासकर शिकार की तलाश में रात में घुमनेवाले बाघ, तेंदुए अक्सर कुएं में गिर जाते हैं। जिसके बाद वन विभाग को इसे निकालने में भारी कवायदों का सामना करना पड़ता है।
Created On :   13 May 2025 4:44 PM IST