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आयुष पद्धति से कोरोना इलाज के लिए बनी कमेटी, जानिए केंद्र से क्यों मांगी सीएपीएफ की 20 कंपनियां
डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश में जनता की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और कोरोना के अलक्षणिक व अल्प लक्षणिक मरीजों के उपचार के लिए आयुष पद्धति अपनाने के लिए समिति गठित की गई है। इस समिति के अध्यक्ष राज्य के चिकित्सा शिक्षा व संशोधन के निदेशक डॉ. तात्याराव लहाने होंगे। बुधवार को राज्य सरकार के चिकित्सा शिक्षा विभाग ने इस संबंध में शासनादेश जारी किया।इसके अनुसार राज्य के आयुष निदेशालय की ओर से भेजे गए प्रस्ताव के आधार पर समिति को मंजूरी दी गई है। इस समिति के सह अध्यक्ष राज्य के आयुष निदेशालय के निदेशक डॉ. कुलदीप राज कोहली होंगे। समिति के सचिव राज्य के आयुष निदेशालय के सहायक निदेशक डॉ. सुभाष घोलप बनाए गए हैं। जबकि समिति के सदस्य के रूप में मुंबई मनपा की पूर्व महापौर शुभा राऊल, डॉ. हरीश सिंह, डॉ. उदय कुलकर्णी, डॉ. संजय तामोली, डॉ. जसवंत पाटील समेत दूसरे डॉक्टरों को शामिल किया गया है। राज्य सरकार का कहना है कि कोरोना से निपटने के लिए गुजरात, पंजाब, मध्यप्रदेश, केरल और गोवा जैसे राज्यों ने उपचार के लिए आयुर्वेद, होम्योपैथी व यूनानी (आयुष) और योग चिकित्सा पद्धति का इस्तेमाल किया है। केंद्र सरकार ने भी इस संबंध में कई बार निर्देश दिया है।
महाराष्ट्र ने केंद्र से मांगी सीएपीएफ की 20 कंपनियां
महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र सरकार से केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की 20 अतिरिक्त कंपनियों की मांग की है। कोरोना के चलते लगातार ड्यूटी कर रहे पुलिसवालों को थोड़ा आराम देने के लिए यह फैसला लिया गया। गृहमंत्री अनिल देशमुख ने बताया कि रमजान और ईद के दौरान सुरक्षा व्यवस्था चुस्त दुरुस्त रखने में भी इससे मदद मिलेगी। देशमुख ने बताया कि कोरोना लॉक डाउन के चलते राज्य में पुलिसकर्मी दिन रात अपना फर्ज निभा रहे हैं अब इस कर्मियों को थोड़ी आराम की जरूरत है इसीलिए केंद्र सरकार से सीएपीएफ के दो हजार जवानों की मांग की गई है। देशमुख ने कहा कि बंदोबस्त में लगे बड़ी संख्या में पुलिसवाले पहले ही कोरोना संक्रमित हो गए हैं। इन पुलिसवालों को भी आराम की जरूरत है। ऐसे में हम पुलिसवालों पर अतिरिक्त बोझ नहीं डालना चाहते। राज्य रिज़र्व पुलिस बल (एसआरपीएफ) की 32 कंपनियां यानी 3200 जवान पहले से ही राज्य में तैनात हैं और कानून व्यवस्था बनाये रखने में पुलिस की मदद कर रहे हैं। 25 मई को ईद है इस मौके पर केंद्रीय अर्द्ध सैनिक बलों की मौजूदगी से कानून व्यवस्था की स्थिति बेहतर रखने में और मदद मिलेगी। इसी लिए केंद्र सरकार से केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की 20 कंपनियों की मांग की गई है। जिससे पुलिस पर काम का बोझ थोड़ा कम किया जा सके।
शिक्षकों को ऑफ लाईन मिलेगा जून माह का वेतन
प्रदेश के निजी आंशिक और पूर्णतः अनुदानित, स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं और अध्यापक विद्यालय के शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को जून महीने तक का वेतन ऑफलाइन पद्धति से वितरित किया जाएगा। प्रदेश सरकार के स्कूली शिक्षा विभाग ने इस संबंध में शासनादेश जारी किया है। इसके अनुसार शिक्षा विभाग की ओर से जारी किया जाने वाला शालार्थ क्रमांक नहीं पाने वाले स्कूलों के शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारियों को जून तक का वेतन ऑफलाइन तरीके से अदा की जाएगी। ऑफलाइन पद्धति के तहत स्कूल अपने स्टॉफ के वेतन बिल बनाकर शिक्षा विभाग को भेजेंगे। इसके बाद शिक्षा विभाग की ओर से शिक्षकों के वेतन मंजूर किए जाएंगे। एक स्कूल के शिक्षक ने बताया कि शिक्षकों को शालार्थ प्रणाली के माध्यम से ऑनलाइन वेतन मंजूर किया जाता है लेकिन शालार्थ प्रणाली में तकनीकी गड़बड़ी के कारण वेतन को ऑफलाइन देने का फैसला सरकार को लेना पड़ता है।
विदर्भ-मराठवाड़ा वैधानिक विकास मंडल के लिए भी बने उपसमिति
विदर्भ वैधानिक विकास मंडल के पूर्व विशेषज्ञ सदस्य डॉ. संजय खडक्कार ने प्रदेश सरकार से राज्य के वैधानिक विकास मंडलों की अवधि विस्तार करने की मांग की है। उन्होंने वैधानिक विकास मंडल की राजस्व विभागीय उपसमिति बनाने का भी आग्रह किया है। खडक्कार ने इस बारे में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को ईमेल के माध्यम से पत्र भेजा है। बुधवार को ‘दैनिक भास्कर’ से बातचीत में खडक्कार ने कहा कि सरकार को राज्य के वैधानिक विकास मंडलों की अवधि 30 अप्रैल को खत्म हो चुकी है। राज्य के पिछड़े इलाकों के क्षेत्रिय असंतुलन को दूर करने के लिए सरकार को वैधानिक विकास मंडलों की अवधि विस्तार की मंजूरी देनी चाहिए। अगर सरकार ने वैधानिक विकास मंडलों को अवधि विस्तार नहीं दिया तो विदर्भ और मराठवाड़ा अंचल को पिछड़ेपन की समस्याओं को रखने के लिए कोई मंच ही नहीं बचेगा। खडक्कार ने कहा कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने अवधि विस्तार को मंजूरी देने के लिए राज्य सरकार को पत्र लिखा है। राज्य मंत्रिमंडल की एक बैठक में प्रदेश के ऊर्जा मंत्री नितिन राऊत ने अवधि विस्तार के मुद्दे को उठाया था। लेकिन कोई फैसला नहीं हो सका।
खडक्कार ने कहा कि सरकार ने 5 सितंबर 2011 को एक शासनादेश जारी करके शेष महाराष्ट्र वैधानिक विकास मंडल के लिए राजस्व विभाग स्तर पर उपसमिति बनाने का फैसला किया था। यह उपसमिति शेष महाराष्ट्र वैधानिक विकास मंडल के अधीन काम करती है। इसी तरह विदर्भ और मराठवाड़ा वैधानिक विकास मंडल के लिए भी उपसमिति बनाना चाहिए। क्योंकि विदर्भ वैधानिक विकास मंडल के जरिए अंचल के सभी जिलों के विकास पर एक समान रूप से ध्यान रखना मुश्किल है। नागपुर विभाग और अमरावती विभाग के लिए अलग-अलग उपसमिति बनानी चाहिए। खडक्कार ने कहा कि पूर्व विदर्भ की तुलना में पश्चिम विदर्भ के जिले सिंचाई, उद्योग, आईटी, सेवा और कृषि जैसे क्षेत्र में काफी पीछे है। पिछले पांच सालों में भाजपा सरकार के कार्यकाल में पूर्व विदर्भ के विकास पर ही ज्यादा जोर दिया गया था। खडक्कार ने कहा कि राज्यपाल को वैधानिक विकास मंडलों के लिए निधि आंवटित करने के लिए राज्य सरकार को निर्देश देने का अधिकार है। इसके अनुसार सरकार वैधानिक विकास मंडलों के लिए बजट में निधि आवंटित करती है लेकिन बजट में आवंटित पूरी निधि को मंजूर नहीं किया जाता है। इस कारण बजट में आवंटित पूरा पैसा खर्च नहीं हो पाता है।
Created On :   13 May 2020 9:57 PM IST