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सत्यशोधन समिति की रिपोर्ट : कोरेगांव भीमा हिंसा पूर्वनियोजित साजिश
डिजिटल डेस्क, पुणे। कोरेगांव भीमा हिंसा की वारदात को किसी हिंदूत्ववादी या आंबेडकरवादी संगठन ने नहीं, बल्कि नक्सली विचार के संगठन ने अंजाम दिया है। इसका खुलासा सत्यशोधन समिति की रिपोर्ट से हुआ है। सत्यशोधन समिति द्वारा मंगलवार को जानकारी दी गई। इस मौके पर समिति के सदस्य सांसद प्रदीप रावत, कैप्टन स्मिता गायकवाड़, सागर शिंदे, सुभाष खिलारे, दत्ता शिर्के, प्रदीप पवार तथा एड. सत्यजीत तुपे उपस्थित थे। समिति के मुताबिक 1 जनवरी को कोरेगांव भीमा में दो समाज के गुटों में दंगे हुए। आगजनी, पथराव किए गए। इसमें एक युवक की मौत हो गई।
इसकी पृष्ठभूमि पर सत्यशोधन समिति का गठन किया गया था। समिति ने तीन महीने अध्ययन किया। इसके बाद तैयार रिपोर्ट में कहा गया कि 28 दिसंबर की रात वढू बुद्रुक में ग्रामपंचायत की मंजूरी लिए बगैर विवादास्पद और झूठा इतिहास बतानेवाला बोर्ड लगाया गया था। इसकी जानकारी शिक्रापुर पुलिस को दी थी। लेकिन उन्होंने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया। यदि पुलिस ने सही समय पर कार्रवाई की हुई होती, तो कोरेगांव भीमा हिंसा की घटना नहीं होती।
वक्त पर पुलिस ने कुछ नहीं किया
31 दिसंबर को शनिवार वाड़ा में कबीर कला मंच तथा रिपब्लिकन पैंथर द्वारा एल्गार परिषद का आयोजन किया गया था। इन आयोजकों में सुधीर ढवले और हर्षाली पोतदार को एटीएस ने गिरफ्तार किया था। जो संदिग्ध माओवादियों के संपर्क में थे। इसलिए एल्गार परिषद, कोरेगांव भीमा हिंसा की घटना और माओवादियों से क्या संबंध है, इसकी गहन जांच कराने की मांग उठी है। पुलिस ने इस घटना को लेकर गृह विभाग, मुख्यमंत्री को गुमराह किया। इसलिए कोल्हापुर इलाके के पुलिस महानिरीक्षक विश्वास नांगरे पाटील, पुलिस अधीक्षक सुवेझ हक और पुलिस आयुक्त रश्मि शुक्ला की जांच कराने की मांग समिति ने उठाई है।
Created On :   24 April 2018 8:45 PM IST