Pune News: ट्रैफिक जाम की समस्या गंभीर होने से चेती सरकार, पश्चिम महाराष्ट्र में 18 महीने में बनी 2,896 किमी सड़कें

ट्रैफिक जाम की समस्या गंभीर होने से चेती सरकार, पश्चिम महाराष्ट्र में 18 महीने में बनी 2,896 किमी सड़कें
  • रोज औसतन 5.30 किमी में हुआ काम
  • पश्चिम महाराष्ट्र में 18 महीने में बनी 2896 किमी सड़कें

Pune News. ऋषिकेश जगताप। पिछले कुछ समय से पुणे शहर और जिले की सड़कों की मरम्मत और निर्माण पर राज्य सरकार अपेक्षाकृत ज्यादा ध्यान दे रही है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि खराब सड़कों और उन पर लगातार होने वाले ट्रैफिक जाम के कारण राज्य को आर्थिक नुकसान हो रहा है और कंपनियों ने पुणे से पलायन शुरू कर दिया है। कहने को पुणे अब आईटी हब बन गया है और पुणे समेत पश्चिम महाराष्ट्र के कुछ जिलों में भी नए-नए उद्योग-व्यापार शुरू हो रहे हैं, लेकिन उन्हें फलने-फूलने के लिए जामरहित चौड़ी सड़कें पहली जरूरत हैं। इसी कारण पश्चिम महाराष्ट्र में मार्च-25 तक (18 महीनों में) कुल 2896.57 किलोमीटर सड़कें बनाई गई हैं। प्रतिदिन सड़क निर्माण का औसत देखें तो 18 महीनों में 5.30 किमी सड़कें रोज बनाई गई हैं।

इसके अलावा 127 पुलों का भी निर्माण किया गया है। यह कार्य पुणे, सातारा, कोल्हापुर, सोलापुर और सांगली जिलों में हुआ है। इसके लिए 15,998.82 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। इनमें शहर की आंतरिक सड़कें, पुणे-मुंबई एक्सप्रेस वे जैसे महत्वपूर्ण राजमार्ग और अन्य राज्य राजमार्ग शामिल हैं। पीडब्ल्यूडी ने सड़कों की गुणवत्ता सुधारने और यातायात को सुचारु करने के लिए कई उपाय किए हैं। सड़कें खराब होने का प्रभाव विशेष रूप से छोटे और मध्यम आकार के व्यवसायियों पर हुआ है, जो वस्तुओं और सेवाओं की डिलीवरी के लिए सड़कों पर निर्भर रहते हैं। यातायात जाम की वजह से वस्तुएं देर से पहुंचती हैं, लागत बढ़ती है और ग्राहकों तक पहुंचना भी कठिन हो जाता है। पिछले 18 महीनों में पीडब्ल्यूडी ने 896.57 किमी सड़कें बनाई हैं। इस हिसाब से प्रतिदिन औसतन 5.30 किमी और हर महीने लगभग 150 किमी सड़क बनाई गई हैं। इस दौरान लगभग 300 सड़कों का काम पूरा किया गया है, जो यातायात सुगम बनाने में सहायक हो रही हैं।

अतुल चव्हाण, चीफ इंजीनियर, पीडब्ल्यूडी के मुताबिक जो सड़कें अब तैयार की गई हैं, वे बढ़ते ट्रैफिक को अच्छी तरह संभाल सकेंगी और विभाग तेजी से काम पूरा कर लोगों को तकलीफ दूर करने की भरसक कोशिश कर रहा है। वर्तमान में प्रतिदिन सड़क निर्माण का औसत पहले से ज्यादा है।

जाम के कारण राज्य से बाहर जाने लगी कंपनियां

पश्चिम महाराष्ट्र के पांच जिलों में आईटी कंपनियों का हब तैयार हो रहा है, जिसमें पुणे जिला सबसे आगे है। लेकिन यहां भी यातायात जाम की समस्या के कारण कई कंपनियां बाहर चली गई हैं या परेशान हैं। कोल्हापुर और सातारा में भी आईटी कंपनियां आने की तैयारी में हैं, लेकिन पुणे के हिंजवड़ी और खराड़ी जैसे इलाकों से कई आईटी कंपनियां बेंगलुरु चली गई हैं। इसके बाद राज्य सरकार ने यातायात समस्या को गंभीरता से लेकर पश्चिम महाराष्ट्र में सड़क नेटवर्क के विस्तार का काम हाथ में लिया है।

गडकरी रोज बना रहे 30 किमी लंबे नेशनल हाईवे

कभी महाराष्ट्र के पीडब्ल्यूडी मंत्री रहे नितिन गडकरी अब केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री हैं। उनका मंत्रालय फिलहाल प्रतिदिन 30 से 32 किमी लंबे हाईवे बना रहा है। गडकरी ने अफसरों को 100 किमी प्रतिदिन सड़क निर्माण करने को कहा है। राज्य पीडब्ल्यूडी भी उनके नक्शे कदम पर चल रही है। अफसरों का कहना है कि यदि ज्यादा संसाधन और पर्याप्त मजदूर मिलें, तो पीडब्ल्यूडी भी प्रतिदिन ज्यादा लंबाई में सड़कें बना सकता है।

18 महीनों में बने प्रमुख मार्ग

सातारा- महाबलेश्वर-पुसेसावली रोड, कराड़-मलकापुर-नादलापुर रोड, फलटण-पुसेगांव रोड

सांगली- आटपाड़ी से सलगरे रोड, सलगरे से हेरवाड़ा, टोप से अरवड़े, विटा-पेठ मलकापुर

कोल्हापुर- कोल्हापुर से गारगोटी रोड, गढ़हिंग्लज से तिलारी रोड, मठकुड़ल-केड़गांव रोड

सोलापुर- महूद-पंढरपुर रोड, दिघची से पंढरपुर रोड, सोलापुर-करमाला-माढ़ा रोड

किस जिले में बने कितने पुल

पुणे- 30

सातारा- 38

सांगली-कोल्हापुर- 38

सोलापुर- 21

कुल 127 पुल

ट्रैफिक जाम पैदा कर रहा कई तकलीफें

दुर्घटनाएं- जाम के कारण वाहन धीरे चलते हैं, जिससे पीछे आने वाले से टक्कर की संभावना बढ़ती है।

समय की बर्बादी- लोगों को गंतव्य तक पहुंचने में देरी होती है, जिससे तमाम तरह की परेशानियों होती हैं। यही वजह है कि पुणे शहर में जाम प्रभावित क्षेत्रों में स्थित आईटी कंपनियों के कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम की मांग कर रहे हैं।

आर्थिक नुकसान- ईंधन की खपत बढ़ जाती है और कंपनियों को भी नुकसान होता है क्योंकि कर्मचारियों के फंसने से माल लाने-ले जाने में ज्यादा समय लगता है।

पर्यावरणीय प्रभाव- लंबे समय तक गाड़ियां चालू रहने से प्रदूषण बढ़ता है, हवा खराब होती है, और लोगों की सेहत पर बुरा असर पड़ता है।




Created On :   3 Aug 2025 9:28 PM IST

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