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गड़चिरोली के जंगल में लगी भयानक आग, बहुमूल्य वनसंपदा हो रही खाक
डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। आदिवासी बहुल गड़चिरोली में मौजूद 78 प्रतिशत वनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार ने वन विभाग को सौंप रखी है, लेकिन वन विभाग के अधिकारियों की निरंतर अनदेखी के चलते जिले की वनसंपदा खतरे में पड़ती नजर आ रही है। पिछले 15 दिनों से दक्षिण गड़चिरोली के जंगल दावानल से धधक रहे हैं, लेकिन इस दावानल पर नियंत्रण पाने में विभाग विफल साबित हो रहा है। इससे लाखों रुपए की वनसंपदा जलकर खाक हो रही है।
कंट्रोल करने विभाग असफल
बता दें कि, इस तरह के दावानल प्रतिवर्ष लगाए जाते हैं। इन पर कंट्रोल पाने के लिए वन मंत्रालय द्वारा वन विभाग के कर्मचारियों को मशीनें उपलब्ध करवाई गई है। अहेरी तहसील के जिमलगट्टा वन परिक्षेत्र कार्यालय में भी कुल 10 मशीनें उपलब्ध हुई हैं, पर इनमें से 8 मशीनों में तकनीकी खराबी आने की वजह से केवल 2 मशीनों के भरोसे ही दावानल बुझाने का काम किया जा रहा है। जिले के अहेरी-सिरोंचा महामार्ग के जिमलगट्टा मार्ग पर सैकड़ों वर्ग फीट में फैला जंगल दावानल की चपेट में है। इसकी आग धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है, लेकिन वन विभाग के कर्मचारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए हैं।
जंगल में है बहुमूल्य वनऔषधि
उल्लेखनीय है कि इस जंगल में बेशकीमती सागौन के पेड़ बड़ी संख्या में मौजूद हैं। इसके अलावा ऐन, बबूल, तेंदू समेत आयुर्वेदिक औषधियों के पौधों की संख्या भी अधिक है। गत पंद्रह दिन से धधक रही आग ने अब तक लाखों रुपए की वनसंपदा को खाक कर दिया है। एक ओर राज्य के वनमंत्री द्वारा पौधारोपण मुहिम चलाकर वनों की सुरक्षा का संदेश दिया जा रहा है, वहीं उधर गड़चिरोली के जंगल दावानल की भेंट चढ़ रहे हैं।
स्थिति में आ रहा सुधार
तेंदूपत्ता संकलन के लिए जिले के वनों में आग लगाने की घटनाएं बढ़ रही हैं। विभाग के कर्मचारी ऐसे लोगों के ताक पर हैं। दावानल को बुझाने के लिए सभी पांचों वन विभाग में विशेष टुकडिय़ां बनाई गई हैं। इससे स्थिति में सुधार होकर वनसंपदा की सुरक्षा के लिए वन विभाग के कर्मचारी हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
आई.डब्ल्यू. एटबॉन, मुख्य वनसंरक्षक, गड़चिरोली
Created On :   19 March 2018 4:05 PM IST