- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- अमरावती
- /
- एक गांव ऐसा, जहां आज तक पुलिस नहीं...
एक गांव ऐसा, जहां आज तक पुलिस नहीं आई

डिजिटल डेस्क, अमरावती। अमरावती जिले के धामणगांव रेलवे तहसील में एक गांव ऐसा है, जहां पंचायत को ही कोर्ट माना जाता है। यही कारण है कि ग्रामीणों की शिकायतों का पिटारा थाने की दहलीज तक नहीं पहुंचता। इसलिए इस गांव की कोई शिकायत थाने में दर्ज नहीं होती है। यहां की न्याय व्यवस्था से किसी को शिकायत नहीं है।
पंचायत पर पूरा भरोसा
तलनी ग्राम में करीब 6 दशक पूर्व यादवराव भैसे ने न्याय पंचायत की शुरुआत की थी और यह परंपरा आज भी बरकरार है। आज भी गांव की जनता को यहां के पंचायत की न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा है। तलनी गांव की जनसंख्या 3000 के आसपास है। इस गांव का इतिहास काफी पुराना है। ब्रिटिशकाल के दौर में देश का सर्वेक्षण करते समय लगातार तीन माह तक गांव में ब्रिटिश फौज का काफिला ठहरा था।
क्या है इतिहास?
ब्रिटिश दौर में जब रेलवे लाइन बिछाने का कार्य किया जा रहा था। उस समय ग्रामवासियों में एक ऐसी भ्रामक मान्यता थी कि नरबलि के सिवाए यह काम पूरा नहीं हो सकता, लेकिन शिवाजी भैसे ने ग्रामवासियों की इस अंधविश्वास को दूर करने का काम किया। चंपतराव भैसे ने भी आजादी के दौर में अंगरेजों को "चले जाओ" का नारा दिया था। यही ही नहीं, उन्होंने कोर्ट में दी गई मानद कुर्सी भी त्याग दी थी।
सामाजिक दायित्व का बीड़ा
पांच दशक पहले यादवराव भैसे ने सामाजिक दायित्व का बीड़ा उठाया। इस दौर में जब अस्पृश्यता अपने चरम पर थी, उस समय यादवराव भैसे ने ऊंच-नीच, जाति-पाति को नजरअंदाज करते हुए सभी को उपचार दिलाने का कार्य किया। यहीं नहीं, गांव में बना कुआं सभी के पानी भरने के लिए खुला कर दिया। तलणी रेलवे स्थान से उस दौर में करीब 60 गांव के ग्रामीण बैलगाड़ी से आना-जाना करते थे। नायगांव, धारफल, दिघी महल्ले के अलावा झाडगांव चिंचोली इस मार्ग से आवागमन होता था। देवेंद्र भैसे कहते हैं कि आज भी गांव में युवा छोटा-बड़ा झगड़ा होने पर थाने की चौखट लांघने के बजाए अपनी शिकायतें गांव की न्याय पंचायत में निपटाने को प्राथमिकता देते हैं। यही वजह है कि गांव में खुशहाली नजर आती है।
Created On :   3 Aug 2017 5:54 PM IST