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हाईवे पर हो रहे हादसे, जिम्मेदारी नहीं बता पाए तो भरने होंगे 25 करोड़
डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में वर्धा-सिंधखेड़राजा तक के राष्ट्रीय महामार्ग की अनदेखी पर केंद्रित जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। हाईवे के रख-रखाव के प्रति लापरवाही के चलते आए दिन हादसे हो रहे हैं। यहां तक कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार हाईवे की जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डाल रहे हैं। इस विषय पर अपनी दलीलें रखते हुए याचिकाकर्ता अरुण पाटील के अधिवक्ता फिरदौस मिर्जा ने कोर्ट में दलील दी कि नेशनल हाईवे एक्ट के प्रावधानों के अनुसार हाईवे के रख-रखाव की जिम्मेदारी किसी संबंधित विभाग को सौंपते वक्त उसका नोटिफिकेशन निकालना केंद्र की जिम्मेदारी होती है। ऐसा नहीं करने पर हाईवे के रख-रखाव का जिम्मा केंद्र सरकार का ही बनता है। ऐसे में हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को 5 नवंबर तक हाईवे के रख-रखाव और जिम्मेदारी पर विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं। ऐसा नहीं करने पर केंद्र सरकार को 25 करोड़ रुपए हाईकोर्ट में भरने होंगे। कोर्ट ने यह भी साफ किया कि बीते कुछ वर्षों में हाईवे पर कई हादसे हुए, ऐसे में लापरवाही करने वाले अधिकारियों पर भी अापराधिक मामले दर्ज किए जा सकते हैं। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के भी आदेश दिए हैं। ऐसा नहीं करने पर कोर्ट स्वयं पुलिस से डेटा मंगवा कर कार्रवाई आगे बढ़ाएगी।
जिम्मेदारी तय नहीं कर पा रहे थे
एचसीबीए के पूर्व अध्यक्ष एड. अरुण पाटील ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर अमरावती से धुले और वर्धा से सिंदखेड़राजा महामार्ग के कामकाज में हुई लापरवाही का मुद्दा उठाया है। दरअसल बीती सुनवाई में केंद्र सरकार ने कोर्ट में जवाब दिया था कि हाईवे के रख-रखाव का जिम्मा नागपुर और अकोला सार्वजनिक निर्माणकार्य विभाग को सौंपा गया है। इसी में से कुछ हिस्से की जिम्मेदारी सागरमाला प्रकल्प को दी गई है, लेकिन जिम्मेदारी देने के बाद केंद्र को नोटिफिकेशन जारी करना था, जो नहीं किया गया। इसके कारण संबंधित विभाग हाईवे के रख-रखाव की जिम्मेदारी लेने से बच रहे थे। अब मामले में हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है। एनएचएआई की ओर से एड. अनिश कठाने ने पक्ष रखा।
Created On :   12 Oct 2019 2:01 PM IST