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पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार के खिलाफ ACP त्रिवेदी पहुंचे HC, दो साल में सात बार हो चुके हैं तबादले
डिजिटल डेस्क, मुंबई। पुलिस महकमे में व्याप्त भ्रष्टाचार व अवैध गतिविधियों को आधार बनाकर सहायक पुलिस आयुक्त राजेंद्र त्रिवेदी ने बांबे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में त्रिवेदी ने मुंबई पुलिस के आला अईपीएस अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठाते हुए उन्हें याचिका में पक्षकार भी बनाया है। जिन आईपीएस अधिकारियों को याचिका में पक्षकार बनाया गया है, उसमें संयुक्त पुलिस आयुक्त (कानून-व्यवस्था) देवेन भारती, डीसीपी किरण चव्हाण व डीसीपी (मुख्यालय) एन अंबिका का नाम शामिल है। इसके अलावा याचिका में राज्य के गृह विभाग के मुख्य सचिव को भी पक्षकार बनाया गया है।
दो साल के भीतर सात ताबदले झेल चुके त्रिवेदी ने याचिका में दावा किया है कि उन्होंने पुलिस महकमे में भ्रष्टाचार को लेकर मुंबई पुलिस आयुक्त से लेकर दूसरे आलाअधिकारियों के पास शिकायत की, लेकिन इन शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया गया। याचिका के अनुसार तत्कालिन संयुक्त पुलिस आयुक्त संजय सक्सेना ने भ्रष्टाचार में लिप्त पुलिसकर्मियों की जांच की थी और एक रिपोर्ट भी सौंपी थी। याचिका में उन्होंने दावा किया है कि उन्होंने आला अधिकारियों को तेल चोरी से जुड़े, ट्रैफिक पुलिस द्वारा हो रही हफ्तावसूली, सहित अनेकों शिकायत की थी।
गुनाहगारों को छोड़ने के लिए दबाव बनाते हैं वरिष्ठ अफसर
याचिका में त्रिवेदी ने दावा किया है कि किस तरह आला अधिकारी पुलिस स्टेशन के काम में दखल देते थे। जिसके तहत आरोपी को समय पर गिफ्तार न करने, फर्जी दस्तावेज तैयार करने, आपराधिक मामले में हल्की धराएं लगाने, बडे़ आरोपियों को गिरफ्तार करने में देरी करने, फिर उन्हें छोड़ने के लिए दबाव बनाने सहित पुलिस महकमों में होने वाली अनेकों गड़बड़ियों का याचिका में जिक्र किया है।
सीबीआई जांच की मांग
याचिका में मांग की गई है कि इस पूरे प्रकारण की निष्पक्ष जांच अदालत की निगरानी में सीआईडी अथवा सीबीआई से कराई जाए और पुलिस महकमे में हो रही गड़बडी के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 166,166ए,166 बी, 167, 192, 195ए, 201, 202, 203, 204,217,405,420 व 34 के तहत मामला दर्ज करने की मांग की है।
याचिका में अदालत से आग्रह किया है कि जब तक मेरी शिकायतों की जांच पूरी नहीं हो जाती है, तब तक पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त सुबोध जैसवाल, देवेन भारती, किरण चव्हाण व एन अंबिका और उनसे जुड़े लोगों का किसी तरह से जांच में हस्तक्षेप न हो। इसके अलावा मेरे तबादले को लेकर उच्चअधिकारियों की ओर से जारी किए गए आदेशों को भी निरस्त किया जाए।
Created On :   6 March 2019 9:40 PM IST