तुलसीकृत श्रीराम चरित मानस की पाण्डुलिपियां सहेजगा प्रशासन 

Administration of Tulsikrit Shri Ram Charit Manas saves manuscript
तुलसीकृत श्रीराम चरित मानस की पाण्डुलिपियां सहेजगा प्रशासन 
तुलसीकृत श्रीराम चरित मानस की पाण्डुलिपियां सहेजगा प्रशासन 

चित्रकूट के परिक्रमा पथ पर 6 लाख की लागत से बनाया जा रहा है म्यूजियम 
डिजिटल डेस्क सतना।
तीर्थस्थल चित्रकूट के श्रीकामदगिरी में प्रदक्षिणा पथ के रामजानकी महल मंदिर में रखीं तुलसीकृत श्रीराम चरित मानस के कुल 7 में से 4 कांडों (अरण्यकांड, कृषिकिंधा कांड और उत्तरकांड ) की उपलब्ध हस्तलिखित पांडुलिपियों को सहेजने के लिए जिला प्रशासन ने मंदिर में म्यूजियम बनाने का निर्णय लिया है। चित्रकूट के सीएमओ रमाकांत शुक्ला ने बताया कि कलेक्टर डा.सतेन्द्र सिंह ने म्यूजियम के लिए डीएमएफ फंड से 6 लाख रुपए की राशि आवंटित की है। इसके लिए टेंडर जारी कर दिए गए हैं,काम एक माह के अंदर पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि म्यूजियम में पांडुलिपियों का जहां हमेशा के लिए संरक्षण हो जाएगा,वहीं श्रद्धालु भी सुगमता से मानस की पाण्डुलिपियों का अवलोकन भी कर सकेंगे। उल्लेखनीय है, मानस के अयोध्याकांड की पांण्डुलिपियां जहां तुलसीदास की जन्म स्थली राजापुर में सुरक्षित हैं,वहीं सुंदरकांड और लंकाकांड की पांण्डुलिपियां आज भी वाराणसी के अस्सीघाट में संरक्षित हैं।  
 गुरु नरहरि दास की तपोस्थली 
मान्यता है कि श्रीकामदगिरी में प्रदक्षिणा पथ पर स्थित रामजानकी महल मंदिर वस्तुत: महाकवि गोस्वामी तुलसीदास के गुरु नरहरिदास की तपोस्थली है। माना जा रहा है कि बचपन से ही तुलसीदास अपने गुरु नरहरिदास के सानिध्य में इसी जगह पर रहे। यहीं पर उन्होंने पीपल का एक पौधा भी रोपा था,जो आज बड़े दरख्त की शक्ल ले चुका है। 
पुरातत्व विभाग से मांगा गया मार्गदर्शन 
उल्लेखनीय है,  रामजानकी महल मंदिर में मानस की हस्तलिखित पांण्डुलिपियों के संरक्षण के लिए कलेक्टर डा.सतेन्द्र सिंह ने केंद्रीय पुरातत्व विभाग और राज्य पुरातत्व विभाग से भी मार्गदर्शन मांगा है। म्यूजियम के लिए ड्रांइग-डिजायन ग्रामोदय विश्वद्यिालय के आर्किटेक्ट रमाकांत त्रिपाठी से तैयार कराया गया है। पांडुलिपियां फिलहाल एलबम में सुरक्षित हैं। पांडुलिपियों के संरक्षण के तौर तरीकों के अध्ययन के लिए कलेक्टर के निर्देश पर चित्रकूट के सीएमओ रमाकांत शुक्ला एवं पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों की एक टीम राजापुर भी भेजी गई थी। 
इनका कहना है 
 हस्तलिखित पांण्डुलिपियों के साथ मंदिर को भी संरक्षित किए जाने का निर्णय लिया गया है। इस संबंध में पुरातत्व विभाग से भी मार्गदर्शन मांगा गया है। म्यूजियम का काम एक माह में पूरा हो जाने की उम्मीद है। 
 डा.सतेन्द्र सिंह, कलेक्टर
 

Created On :   17 Feb 2020 7:48 AM GMT

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