शबनम के बाद फांसी पर लटकाई जा सकती हैं पुणे की जेल में बंद दो बहने

After Shabnam, two more may be hanged in Pune jail!
शबनम के बाद फांसी पर लटकाई जा सकती हैं पुणे की जेल में बंद दो बहने
शबनम के बाद फांसी पर लटकाई जा सकती हैं पुणे की जेल में बंद दो बहने

डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रेमी के साथ मिलकर परिवार के सात सदस्यों की कुल्हाड़ी से हत्या करने वाली अमरोहा की शबनम को जल्द ही मथुरा जेल में फांसी पर लटका दिया जाएगा। इसकी तैयारियां शुरू हो गईं हैं। इसके बाद देश की तीन और महिलाएं हैं जो फांसी के फंदे पर लटकाई जा सकतीं हैं। इनमें दो पुणे स्थित येरवडा जेल में बंद दो बहनें रेणुका और सीमा हैं। इनका अपराध इतना भयानक है कि सुनने वाले के रोंगटे खड़े हो जाएं। 

आरोप है कि दोनों ने अपनी मां अंजना गावित के साथ मिलकर 1990 से 1996 के बीच पुणे, ठाणे, कल्याण, नाशिक, कोल्हापुर के 43 बच्चों को अगवा कर मौत के घाट उतारा है। तीनों आरोपियों को पुलिस ने नवंबर 1996 में गिरफ्तार किया था। हालांकि पुलिस ने ठोस सबूत न होने के चलते इनमें से 13 बच्चों को अगवा करने और 6 की हत्या के आरोप में मुकदमा चलाया। अंजना की 1998 में जेल में ही बीमारी के चलते मौत हो गई थी। 

10 साल पहले सुनाई गई थी फांसी की सजा 

जून 2001 में अदालत ने दोनों बहनों को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। इस मामले में रेणुका के पति किरन शिंदे को भी गिरफ्तार किया था लेकिन बाद में वह सरकारी गवाह बन गया। सितंबर 2004 में हाईकोर्ट ने इनमें से एक मामले में आरोपी महिलाओं को बरी कर दिया लेकिन बाकी मामलों में फांसी की सजा बरकरार रखी। अगस्त 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने भी फांसी की सजा पर मुहर लगा दी। दोनों बहनों ने आखिरकार तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से माफी की गुहार लगाई लेकिन दोनों का अपराध देखते हुए 2014 में राष्ट्रपति ने उनकी दया याचिका ठुकरा दी। 

डेथ वारंट के बाद भी नहीं हुई फांसी तो पहुंची हाईकोर्ट

कोल्हापुर सत्र न्यायालय में सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पैरवी करने वाले जाने माने वकील उज्जवल निकम ने ‘दैनिक भास्कर’ को बताया कि सत्र न्यायालय से सुप्रीमकोर्ट तक फांसी की सजा बरकरार रखी गई। राष्ट्रपति ने भी दया याचिका खारिज कर दी लेकिन डेथ वारंट जारी होने के बाद जब लंबे समय तक दोनों बहनों को फांसी पर नहीं लटकाया गया तो उन्होंने फिर बांबे हाईकोर्ट का रुख किया और देरी का हवाला देते हुए फांसी देने पर रोक लगाने की मांग की। उनकी याचिका के आधार पर फिलहाल फांसी की सजा के अमल पर रोक लगी हुई है। 

ऐसे पकड़ा अपराध का रास्ता

अंजना गावित नाशिक की रहने वाली थी। एक ट्रक ड्राइवर से प्रेम विवाह के बाद वह पुणे चली गई। रेणुका के पैदा होने के बाद दोनों में विवाद हुआ और वे अलग हो गए। इसके बाद अंजना ने सेवा निवृत्त सैनिक मोहन से शादी की और दूसरी बेटी सीमा पैदा हुई। लेकिन दोनों के संबंध ज्यादा नहीं चल सके। पति से अलग होने के बाद अंजना अपनी बेटियों के साथ मिलकर चोरियां करने लगी। बच्चों को अगवा कर उनकी हत्या का सिलसिला तब शुरू हुआ जब एक मंदिर में चोरी के बाद सीमा रंगे हाथों पकड़ी गई। बगल में अपने बेटे के साथ खड़ी रेणुका ने लोगों का ध्यान भटकाने के लिए अपने बेटे को जमीन पर पटक दिया उसके सिर से खून बहने लगा। इसके बाद लोगों का ध्यान बच्चे पर चला गया और सीमा भाग निकली। इसके बाद मां और दोनों बेटियों ने बच्चों को अगवा कर अपने साथ ले जाना शुरू कर दिया जिससे वे पकड़ी ना जाएं। आरोपी महिलाएं चोरी के बाद बच्चों को जान से मारकर फेंक देती थी। 

ऐसे कसा शिकंजा

तीनों लगातार अपनी करतूत को अंजाम दे रही थी। इसी बीच अंजना ने अपने पूर्व पति मोहन गावित और उसकी दूसरी पत्नी की दो बेटियों की हत्या की साजिश रची। उसके इशारे पर रेणुका और सीमा अपनी सौतेली बहन को अगवा कर उसकी हत्या करने में कामयाब हो गई। लेकिन जब दूसरी बच्ची के साथ यही कोशिश हुई तो बच्ची की मां ने मामले की शिकायत पुलिस से की। इसके बाद पुलिस ने तीनों आरोपियों पर शिकंजा कसा तो उन्होंने सौतेली बहन की हत्या की बात स्वीकार कर ली। इसके बाद पूछताछ में एक के बाद एक बच्चों को अगवा कर हत्या करने के राज खुलते रहे। 

इसे भी होनी है फांसी

हरियाणा की सोनिया भी फांसी की राह देख रही है। सोनिया और उसके पति संजीव की भी दया याचिका भी तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ठुकरा चुके हैं। सोनिया ने 2001 में संपत्ति की लालच में अपने पति के साथ मिलकर अपने पिता रेलूराम समेत परिवार के 8 लोगों की हत्या कर दी थी। रेलूराम हरियाणा के हिसार से विधायक थे। सोनिया कई बार जेल से भागने की भी कोशिश कर चुकी है। 

 

Created On :   19 Feb 2021 4:00 PM GMT

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