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खतरनाक स्तर पर वायु पोल्यूशन , लगातार बढ़ रहा पक्षियों की मौत का आंकड़ा
डिजिटल डेस्क, अमरावती । प्रदूषण से एक ओर जहां शहरवासी परेशान है, वहीं खतरनाक बन रहे प्रदूषण से बचने के उपाय भी बताए जा रहे है। जबकि इसका असर पशु-पक्षियों पर भी पडऩे लगा है। उनकी पीड़ा कोई महसूस नहीं कर रहा। आलम यह है कि पिछले तीन वर्षों में प्रदूषण के बढ़ते स्तर से देशभर में पंछियों की मृत्युदर में 35 फीसदी इजाफा हुआ है। कई पंछियों की प्रजातियां तेजी से कम होती जा रही है।
पशु वैज्ञानिकों का कहना है कि भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। अमरावती जिले में भी बिगड़ी हुई आबोहवा का असर इन पंछियों पर देखा जा रहा है। जनवरी 2017 से लेकर अगस्त 2019 तक ही संपूर्ण जिले में प्रदूषण तथा चायना मांजे की चपेट में आकर जान गंवाने वाले पंछियों की संख्या करीब 16 हजार के आसपास है। इसी वर्ष गर्मियों में अनपेक्षित हिमस्ट्रींग की वजह से लगभग 2500 से अधिक अलग-अलग प्रजातियों के पंछियों की मौत हो गई थी। आबोहवा में आई खराबी के चलते दूषित वातावरण की वजह से पंछियों में बीमारी फैलने का खतरा 90 प्रतिशत तक बढ़ गया है। पंछियों की मृत्यु दर, प्रदूषण के संपर्क में आने की वजह से 35 फीसदी तक बढ़ गया है। क्योंकि पंछी चौबीस घंटे प्रदूषण के संपर्क में रहते है। इस प्रदूषण के चलते बीते एक साल में संपूर्ण जिले में गोरैया, हंस समेत कई प्रजातियों की संख्या कम हुई है।
पंछियों पर हो रहा प्रदूषण का असर
पंछी खुले आसमान तथा जंगलों में रहते है। जिसकी वजह से यह हमेशा ही प्रदूषण के संपर्क में बने रहते है। इसीके चलते बीमारियों से पंछियों की मौत का खतरा 90 फीसदी तक बढ़ चुका है। साथ ही पंछियों की मृत्यु दर में 35 फीसदी इजाफा हुआ है। इतना ही नहीं तो, प्रदूषण की वजह से पंछियों के लिए पौष्टिक आहार कहे जाने वाले कैटरपीलर व कीड़े मकोड़ों की तादाद भी कम होती जा रही है।-डा. रजत भार्गव, पशु वैज्ञानिक
Created On :   27 Nov 2019 12:13 PM IST