बारिश का सिलसिला जारी, नदी-तालाब हुए लबालब, प्रदूषण से निरंतर जान गंवा रहे पंछी 

Amravati - Rain continues, there is an increased risk of water entering the river-pond villages
बारिश का सिलसिला जारी, नदी-तालाब हुए लबालब, प्रदूषण से निरंतर जान गंवा रहे पंछी 
अमरावती बारिश का सिलसिला जारी, नदी-तालाब हुए लबालब, प्रदूषण से निरंतर जान गंवा रहे पंछी 

डिजिटल डेस्क, अमरावती। जिले में 20 दिनों पूर्व सभी लोग बेहतर बारिश का इंतजार कर रहे थे। देर से आई बारिश अब अतिवृष्टि में तब्दील हो गई है। लेकिन यह बारिश तालाबों व नदियों के तट पर बसे कई ग्रामीणों के लिए संकट का कारण बन गई है। आपत्ति व्यवस्थापन विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार दर्यापुर, मोर्शी, वरूड़, अंजनगांव सुर्जी, धामणगांव रेलवे व नांदगांव खंडेश्वर इन छह तहसीलाें में कई ग्रामीणों को घर छोड़ने पर विवश होना पड़ा है। ग्रामीणों को घर छोड़ने के लिए मजबूर होने के कारण तालाबों व नदियों के बढ़ते जलस्तर के कारण पानी की घरों में होती घुसपैठ को बताया गया है। जिले में अब तक कुल 600 से अधिक ग्रामीण परिवारों को अपना निवास स्थान  बदलना पड़ा है। सबसे अधिक खामियाजा दर्यापुर व मोर्शी और वरूड़ तहसील में नदी व तालाबों के तट पर बसे परिवारों को भुगतना पड़ा है। इसके पहले वर्ष 2019 में भी मोर्शी व वरूड़ के ग्रामीणों को ऐसे ही संकट का सामना करना पड़ा था। अमरावती जिले में जो 600 परिवार निवासहीन हुए हैं। उन्हें  सरकारी रेनबसेरो तथा पंचायत भवन व स्कूलों में शरण दी गई है। इस अतिवृष्टि के चलते केवल किसानों को अपनी फसलों से ही हाथ नहीं धोना पड़ा। बल्कि अतिवृष्टि ने 58 गांवों के 600 परिवारों को अाधिकारिकतौर पर बेघर होने पर मजबूर कर दिया है। फिलहाल यह आंकड़े केवल 6 ही तहसीलों के हैं। इसके अलावा केवल उन्हीं परिवारों को इन आंकड़ों में शामिल किया गया है। जिनका पंजीयन किया जा चुका है। अगले कुछ दिनों में ऐसे परिवारों की संख्या बढ़ने की संभावना भी व्यक्त की जा रही है। 

450 से अधिक मवेशी लापता  

अब तक अतिवृष्टि के कारण 68 पालतु पशुओं के मृत्यु की आधिकारिक सूचना प्राप्त हुई है। लेकिन इस दौरान कई पशुपालकों व किसानों की ओर से 450 से अधिक मवेशी बारिश के कारण लापता होने की शिकायत भी की गई है। 

इस वर्ष सर्वाधिक नुुकसान  

नितिन व्यवहारे, उपजिलाधीश के मुताबिक पिछले 15 दिनों की बारिश ने कई स्थानों पर नुकसान पहुंचाया है। 2019 में ऐसी स्थिति निर्माण हुई थी। उस वक्त मोर्शी तहसील में ही भारी नुकसान हुआ था। लेकिन इस बार जिले की 6 तहसीलों में नुकसान की पुष्टि हुई है और यह आंकड़े लगातार बढ़ भी रहे हैं। 

जिले में लगातार बारिश का सिलसिला जारी 

पिछले कुछ दिनों से अमरावती सहित जिले के कुछ हिस्से में बारिश का सिलसिला जारी है। गरज के साथ जोरदार बारिश होने से  किसानों में चिंता व्यक्त की जा रही है। जोरदार बारिश की वजह से खेत जलमग्न हुए है। फसले तबाह होने से किसानों के समक्ष संकट खडा हो गया है। अमरावती, बडनेरा, तिवसा, नांदगांव खंडेश्वर, परतवाडा, दर्यापुर, धामणगांव रेलवे, चांदुर रेलवे में बारिश निरंतर शुरु है। नांदगांव खंडेश्वर के वाघोडा परिसर में अनेक खेतों में पानी घुस जाने से  सोयाबीन की फसल का भारी नुकसान हुआ है। उसी प्रकार अन्य फसलों को भी नुकसान पहुंचने से  किसानों द्वारा नुकसानग्रस्त  फसलों का निरीक्षण करने की मांग  की जा रही है। लगातार बारिश के कारण सोयाबीन की फसल बर्बाद हो रही है। अतिवृष्टि के कारण कपास, तुअर फसल का भी नुकसान हो रहा है। 

फल्लियों में ही अंकुरित होने लगा सोयाबीन 

लगातार बारिश के चलते सोयाबीन की फसल बर्बादी की कगार पर पहुंच गई है। सोयाबीन के खेतों में खडी फसल के हरे दाने अंकुरित होकर फल्लियों से बाहर निकल आए है। फल्लियों में ही सोयाबीन अंकुरित होने से किसानों को फसल खराब होने  की चिंता सताने लगी है। समय से पहले ही हरी फसल के पत्ते पीले पडने लगे है। खेत में खडी सोयाबीन की फसल की फल्लियों में बीज अंकुरित होने से जल्द से जल्द पंचनामा करने की मांग धारणी किसानों द्वारा की जा रही है। 

प्रदूषण से निरंतर जान गंवा रहे पंछी 

इसके अलावा प्रदूषण से एक ओर जहां शहरवासी परेशान है। वहीं खतरनाक होते प्रदूषण से बचने के उपाय भी बताए जा रहे हैं। लेकिन इसका असर पशु-पंछियों पर भी पड़ने लगा है। जिनकी पीड़ा कोई महसूस नहीं कर रहा है। पिछले तीन वर्षों में प्रदूषण से बड़े स्तर से देशभर में पंछियों की मृत्युदर में 35 फीसदी बड़ी है। कई पंछियों की प्रजातियां तेजी से घट रही हैं। पशु वैज्ञानिकों का कहना है कि भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान की वैज्ञानिक की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। अमरावती जिले में भी बिगड़ी हुई आबोहवा का असर इन पंछियों पर देखा जा रहा है। जनवरी 2018 से लेकर अगस्त 2021 तक ही संपूर्ण जिले में प्रदूषण तथा चायना मांजे  की चपेट में आकर जान गंवाने वाले पंछियों की संख्या करीब 16 हजार के आसपास हैं। इसी वर्ष गर्मियों में अनपेक्षित हिमस्ट्रींग की वजह से लगभग 2573 से अधिक अलग-अलग प्रजातियों के पंछियों की मौत हो गई थी। प्रदूषण और संकीर्ण वातावरण की वजह से पंछियों में बीमारी फैलने का खतरा 90 प्रतिशत तक बढ़ गया है। पंछियों का मृत्युदर प्रदूषण के संपर्क में आने की वजह से 35 फीसदी तक बढ़ गया है। क्योंकि पक्षी चौबीस घंटे प्रदूषण के संपर्क में रहते हंै। इस प्रदूषण के चलते बीते एक साल में संपूर्ण जिले में गोरैया, हंस समेत कई प्रजातियों की संख्या कम हुई है।
 

Created On :   26 Sep 2021 12:17 PM GMT

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