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तथ्यहीन याचिका दायर करने से नाराज हाईकोर्ट ने लगाया 5 लाख का जुर्माना

डिजिटल डेस्क, मुंबई। काउंसिल आफ इंडियन स्कूल सर्टीफिकेट इक्जामिनेशन (सीआईएससीई) शिक्षा बोर्ड की वैधता पर सवाल उठाते हुए बांबे हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करनेवाले सामाजिक कार्यकर्ता सपन श्रीवास्तव पर बांबे हाईकोर्ट ने पांच लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को चार सप्ताह के भीतर कोर्ट में यह रकम जमा करने को कहा है। उसके खिलाफ उगाही के लिए एफआईआर दर्ज कराने का भी निर्देश दिया है।
याचिकाकर्ता के खिलाफ धन उगाही का मामला दर्ज करने का आदेश
श्रीवास्तव ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) से मिली जानकारी के आधार पर इस संबंध में याचिका दायर की थी। याचिका में दावा किया गया था कि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 20 जनवरी 2016 को आरटीआई में जवाब दिया है कि उसने काउंसिल आफ इंडियन स्कूल सर्टीफिकेट इक्जामिनेशन को मंजूरी नहीं दी है। उसने सिर्फ सीबीएसई व नेशनल इंस्टीच्यूट आफ ओपन स्कूलिंग को मंजूरी दी है। ऐसे में सीआईएससीई को वैध शिक्षा बोर्ड कैसे माना जा सकता है।
इसके पहले मिला था आदिवासी इलाकों में काम करने का दंड
गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नांदराजोग की खंडपीठ के सामने यह याचिका सुनवाई के लिए आयी। याचिका पर सुनवाई के दौरान सीआईएससीई की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने याचिकाकर्ता पर निराधार याचिका दायर करने का आरोप लगाया। उन्होंने खंडपीठ को याचिकाकर्ता द्वारा जनहित याचिका दायर करने के नाम पर की जी रही क्राउड फंडिग की भी जानकारी दी। इसके बाद खंडपीठ ने उस वेबसाइट को निर्देश दिया कि उसका नाम पोर्टल से हटा दिया जाए। जबकि श्रीवास्तव ने आरटीआई के जवाब के आधार पर अपनी बात रखी। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने श्रीवास्तव पर पांच लाख रुपए का जुर्माना लगाया। गौरतलब है कि पिछले दिनों हाईकोर्ट ने श्रीवास्तव को मोटरमैनों के ड्रेसकोड के मुद्दे को लेकर याचिका दायर करने पर आदिवासी इलाके में काम करने के लिए भेजा था।
Created On :   5 Sept 2019 10:15 PM IST