राज्य की 4899 ग्राम पंचायतों में प्रशासक नियुक्त, सरकार ने हाईकोर्ट को दी जानकारी 

Appointed administrator in 4899 gram panchayats of the state
राज्य की 4899 ग्राम पंचायतों में प्रशासक नियुक्त, सरकार ने हाईकोर्ट को दी जानकारी 
राज्य की 4899 ग्राम पंचायतों में प्रशासक नियुक्त, सरकार ने हाईकोर्ट को दी जानकारी 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि 4899 ग्रामपंचायतो में प्रशासकों नियुक्ति की गई है। राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुम्भकोणी ने बॉम्बे हाईकोर्ट को यह जानकारी दी है । राज्य भर में करीब 14 हजार 234 ग्राम पंचायतों का कार्यकाल खत्म हो गया है। कोरोना के चलते यहां चुनाव कराना संभव नहीं है। इसलिए सरकार ने पिछले दिनों यहां प्रशासकों की नियुक्ति करने के संबंध में शासनादेश जारी किया है। इसमें सरकारी व निजी व्यक्तियो के प्राशासक के तौर पर नियुक्ति का प्रावधान किया गया है। सरकार के इस निर्णय के खिलाफ हाईकोर्ट में कई याचिकाए दायर की गई हैं। याचिकाओ में दावा किया गया है कि सरकार का निर्णय असंवैधानिक हैं और राजनीति से प्रेरित है। इसलिए इसे रद्द कर दिया जाए। 

न्यायमूर्ति एस एस शिंदे की खंडपीठ के सामने सोमवार को सभी याचिकाओ पर सुनवाई हुई। इस दौरान राज्य के महाधिवक्ता श्री कुम्भकोणी ने कहा कि अब तक सरकार ने 4899 ग्रामपंचायतो में प्रशसकों की नियुक्ति की है।ये सारे प्राशासक स्वास्थ्य, शिक्षा व ग्रामीण विकास विभाग के सरकारी अधिकारी हैं। एक प्रशासक को तीन से अधिक ग्रामपंचायतों का जिम्मा नहीं दिया जाएगा। हालांकि उन्होंने  नियुक्ति किए गए प्रशासकों की संख्या का खुलासा नहीं किया। उन्होंने कहा कि सरकार निजी व्यक्तियों की प्रशासक के तौर पर नियुक्ति नहीं करेगी। सिर्फ सरकारी अधिकारी ही प्रशासक के तौर पर नियुक्त किए जाएंगे। इस दौरान उन्होंने  प्रशासक की नियुक्ति में जिले के पालकमंत्री के हस्तक्षेप व सरकार के निर्णय को राजनीति से प्रेरित होने के आरोप को आधारहीन बताया।

पालकमंत्री नहीं कर रहे नियुक्ति

महाधिवक्ता ने कहा कि पालक मंत्री प्रशासक की नियुक्ति नहीं कर रहे हैं। उनकी सलाह जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के लिए अनिवार्य नहीं होगी। इस विषय पर पालकमंत्री सिर्फ परामर्श दे सकते हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि को-ओपरेटिव सोसायटी व ग्रामपंचायत की तुलना नहीं कि जा सकती। क्योंकि ग्रामपंचायत का चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से होता है जबकि को-ऑपरेटिव सोसायटी का स्वेच्छा से गठन किया जाता है। खंडपीठ ने राज्य के महाधिवक्ता से मिली जानकारी के बाद मामले की सुनवाई 14 सितंबर 2020 तक के लिए स्थगित कर दी। 

Created On :   7 Sept 2020 7:17 PM IST

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