सुसाइड मामला : आरोप पत्र का संज्ञान न ले निचली अदालत, हाईकोर्ट में अर्नब गोस्वामी की मांग

सुसाइड मामला : आरोप पत्र का संज्ञान न ले निचली अदालत, हाईकोर्ट में अर्नब गोस्वामी की मांग
सुसाइड मामला : आरोप पत्र का संज्ञान न ले निचली अदालत, हाईकोर्ट में अर्नब गोस्वामी की मांग

डिजिटल डेस्क, मुंबई। पत्रकार अर्नब गोस्वामी ने साल 2018 के इंटीरियर डिजायनर अन्वय नाईक की आत्महत्या मामले को लेकर दायर आरोपपत्र का संज्ञान लेने से रोकने की मांग करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट में आवेदन दायर किया है। अलीबाग पुलिस ने गोस्वामी सहित तीन आरोपियों के खिलाफ शुक्रवार को अलीबाग के मैजिस्ट्रेट कोर्ट में आरोपपत्र दायर किया है। मुख्य महानगरीय दंडाधिकारी को इस आरोपपत्र का संज्ञान लेने से रोकने का निर्देश देने की मांग को लेकर गोस्वामी ने हाईकोर्ट में आवेदन दायर किया है। आवेदन में दावा किया गया है यह पूरा प्रकरण राज्य सरकार के गलत इरादे को दर्शाता है। इसलिए निचली अदालत को आरोपपत्र का संज्ञान लेने से रोका जाए। 1914 पन्नों के आरोपपत्र में पुलिस गोस्वामी व अन्य दो आरोपियों पर  नाईक को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया है। आरोपपत्र में 65 गवाहों को शामिल किया गया है। गोस्वामी के इस आवेदन पर सोमवार को सुनवाई हो सकती है। 

इससे पहले गोस्वामी ने दो दिन पहले हाईकोर्ट में आवेदन दायर कर नाईक मामले की जांच पर रोक लगाने व पुलिस को अरोपपत्र दायर करने से रोकने की मांग को लेकर आवेदन दायर किया था। इस आवेदन में गोस्वामी ने राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख के उस बयान पर आपत्ति जताई है जिसके तहत उन्होंने कहा था कि गोस्वामी के खिलाफ कड़ा आरोपपत्र दायर किया जाएगा। गोस्वामी के आवेदन के मुताबिक गृहमंत्री का यह बयान सुप्रीम कोर्ट के फैसले के प्रति असम्मान दर्शता है। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने मुझे जमानत देते समय स्पष्ट किया था कि नाईक की आत्महत्या को लेकर दर्ज की गई एफआईआर में आत्महत्या के लिए उकसाने के घटक नजर नहीं आते हैं। पिछले दिनों अलीबाग पुलिस ने इस मामले गोस्वामी को मुंबई स्थित उनके घर से गिरफ्तार किया था। हालांकि पुलिस ने पहले इस प्रकरण को बंद कर दिया था। चूंकि अब पुलिस ने आरोपपत्र दायर कर दिया है इसलिए गोस्वामी ने नया आवेदन दायर किया है। 

 

Created On :   7 Dec 2020 7:31 PM IST

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