भारिया महोत्सव में पातालकोट के 14 गांवों के कलाकारों को मिलेगा प्रतिभा दिखाने का मौका

Artists from 14 villages of Patalkot will get a chance to showcase talent at the Bharia Festival
भारिया महोत्सव में पातालकोट के 14 गांवों के कलाकारों को मिलेगा प्रतिभा दिखाने का मौका
भारिया महोत्सव में पातालकोट के 14 गांवों के कलाकारों को मिलेगा प्रतिभा दिखाने का मौका

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा । भारिया संस्कृति को दुनिया के सामने लाने के लिए लंबे समय से प्रयास किया जा रहा है। इस बार भारिया महोत्सव के जरिए प्रदेश सरकार ने यहां की संस्कृति, सभ्यता और इस विशेष जनजाति के तौर-तरीकों को  सामने लाने का प्रयास किया है। चिमटीपुर में होने वाले दो दिवसीय भारिया महोत्सव भारियाओं की लोक संस्कृति को भी दिखाया जाएगा। इस बार शासन की योजना है कि भारियाओं की लोक संस्कृति इनके परंपरागत नृत्य और गुन्नुरशाही बेंड की थाप नृत्य करते कलाकारों जलवा पूरा प्रदेश देख सकें। सांसद नकुलनाथ की पहल पर आयोजित हो रहे इस कार्यक्रम में प्रथम फेज में पातालकोट के 28 में से 14 गांवों के कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलेगा। 12 एवं 13 नवंबर को आयोजित होने वाले कार्यक्रम में इन गांवों के कलाकार और नृत्य टोलियां अपनी प्रतिभा का जौहर दिखाएगी। इन्हीं नृत्य और वाद्ययंत्रों कलाकारों के बीच से फिर उत्कृष्ट कलाकारों का चयन किया जाएगा। जिसे प्रदेश सरकार द्वारा स्टेट लेवल के प्रशिक्षकों द्वारा प्रशिक्षण दिया जाएगा। वहीं वाद्ययंत्रों में निपुण कलाकारों को प्रशिक्षण देने के साथ-साथ वाद्ययंत्रों को भी देने की कार्ययोजना तैयार होगी। 
प्रदेश की विशेष पिछड़ी जनजाति में से एक है भारिया 
भारिया जनजाति तामिया के पातालकोट में पाई जाती है। विशेष पिछड़ी जनजातियों में शामिल इन लोगों की सभ्यता और संस्कृति सबसे हटकर है। आज भी पातालकोट के दुर्गम क्षेत्रों में ये लोग निवास करते हैं। पातालकोट के इन गंावों में पहुंचना आज भी आसान नहीं है। आधुनिकता से दूर अपनी सभ्यता को सहेजने की कोशिश ये लोग कर रहे हैं। कई बार इन्हें इस दुर्गम पहाडिय़ों के बीच से निकालने की कोशिश की गई, लेकिन ये लोग प्रकृति की गोद में ही रहना चाहते हैं।
कौन-कौन से होंगे आयोजन 
दो दिवसीय भारिया महोत्सव में भारिया संस्कृति से जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। जिसमें भड़म नृत्य, लाठी नृत्य, सैताम नृत्य, गोंड एवं बैगा जनजाति के नृत्यों का आयोजन किया जाएगा। अलग-अलग दलों के कलाकार इस कार्यक्रम में अपनी प्रस्तुति देंगे। 12 नवंबर को सांसद नकुलनाथ इस महोत्सव की शुरुआत करेंगे। 
क्या होगा फायदा... 
प्रदेश सरकार इनकी संस्कृति और सभ्यता के जरिए इनको रोजगार से जोडऩे का प्रयास कर रही है। इस महोत्सव के बाद चयनित कलाकारों को प्रशिक्षण देने के  इन्हे प्रदेश के कोने-कोने में आयोजित होने वाले सांस्कृति कार्यक्रमों में प्रस्तुति देने का मौका मिलेगा। भारियाओं जनजाति के युवक-युवतियों में छिपी प्रतिभा सामने आएगी और इन्हें रोजगार भी मिल सकेगा।
 

Created On :   9 Nov 2019 8:57 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story