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अशोक चव्हाण बोले - तमिलनाडु की तर्ज पर कायम रह सकता है मराठा आरक्षण
डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश के सार्वजनिक निर्माण कार्य (पीडब्ल्यूडी) मंत्री तथा मराठा आरक्षण उपसमिति के अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने कहा कि केंद्र सरकार को मराठा आरक्षण को भारत के संविधान की 9 वीं अनुसूची में शामिल करने के विकल्प पर विचार करना चाहिए। सदन में प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस के सदस्य शरद रणपीसे ने मराठा आरक्षण को लागू करने को लेकर सवाल पूछा था। राकांपा सदस्य सतीश चव्हाण ने मराठा आरक्षण को 9 वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की। इसके जवाब में चव्हाण ने कहा कि तमिलनाडु के 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण को संविधान की 9 वीं अनुसूची में शामिल किया गया है। इससे तमिलनाडू का आरक्षण बरकरार है। उन्होंने कहा कि संविधान की 9 वीं अनुसूची के माध्यम से तमिलनाडु का आरक्षण कायम रह सकता है तो महाराष्ट्र के मराठा आरक्षण के बारे में विचार होना चाहिए। चव्हाण ने कहा कि संसद शुरू है। संसद के स्तर पर कुछ करना संभव है तो केंद्र सरकार वरिष्ठ वकीलों की सलाह लें। यदि संभव है तो मराठा आरक्षण को 9 वीं अनुसूची में शामिल करें। चव्हाण ने कहा कि केंद्र सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्ल्डूएस) वर्ग के लोगों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण संविधान संशोधन के माध्यम से दिया है।
सुप्रीम कोर्ट में 8 मार्च से नियमित सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में मराठा आरक्षण पर 8 मार्च से नियमित सुनवाई शुरू होने वाली है। इसलिए इससे पहले केंद्र सरकार को आरक्षण के लिए संविधान संशोधन और 9 वीं अनुसूची में शामिल करने के विकल्प पर विचार करना चाहिए। चव्हाण ने कहा कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में मराठा आरक्षण के लिए मजबूती से अपना पक्ष रखेगी। लेकिन केंद्र सरकार को भी मराठा आरक्षण पर तीन से चार बिन्दुओं पर अपनी भूमिका लेनी होगी।
16 राज्यें में 50 फीसदी से अधिक आरक्षण
चव्हाण ने कहा कि इंद्रा साहनी मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता है लेकिन देश के 16 राज्यों में 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण है। केंद्र सरकार के 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। इसलिए केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट को सभी आरक्षण की सुनवाई एक साथ करने का आग्रह करना चाहिए। आरक्षण के सभी मामले को 9 अथवा 11 न्यायाधिशों की खंडपीठ को सौंपने का आग्रह करना चाहिए।
केंद्र पर लगा रहे आरोपः दरेकर
चव्हाण ने कहा कि बीते 28 फरवरी को मराठा आरक्षण पर राज्य सरकार की ओर से बुलाई गई बैठक में केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को बुलाया गया था। लेकिन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई बैठक में प्रसाद शामिल नहीं हुए। मुझे नहीं मालूम कि वे बैठक में क्यों शामिल नहीं हुए? इस पर विधान परिषद में विपक्ष के नेता प्रवीण दरेकर ने कहा कि प्रसाद बैठक में शामिल होने ही नहीं वाले थे केवल केंद्र सरकार के खिलाफ मीडिया में महौल बनाने के लिए यह आरोप लगा जा रहे हैं। इस पर चव्हाण ने कहा कि मैंने खुद उन्हें पत्र भी लिखा था। मैं प्रसाद पर कोई आरोप नहीं लगा रहा हूं।
Created On :   3 March 2021 8:29 PM IST