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मंत्रालय के सचिवों से सहयोग नहीं मिलने से लोकलेखा समिति नाराज
डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र विधानमंडल की लोकलेखा समिति ने मंत्रालय के सचिवों से कामकाज के लिए सहयोग नहीं मिलने से कड़ी नाराजगी जताई है। लोकलेखा समिति की तरफ से बुलाई जाने वाली बैठकों में मंत्रालय के विभिन्न विभागों के सचिवों को गवाह के रूप में उपस्थित रहना अनिवार्य होता है। लेकिन लोकलेखा समिति की बैठक 15 दिन पहले घोषित होने के बावजूद कई बार ऐन मौके पर सचिवों की तरफ से उस बैठक को टालने के लिए कहा जाता है।
नियमों के अनुसार बैठक टालने के लिए राज्य के मुख्य सचिव की मान्यता लेनी जरूरी है पर सचिव मुख्य सचिव से मंजूरी नहीं लेते हैं। इसके मद्देनजर राज्य सरकार ने मंत्रालय के सचिवों को लोकलेखा समिति के कामकाज में सहयोग करने का निर्देश दिया है। सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने इससे संबंधित परिपत्रक जारी किया है।
सरकार का कहना है कि लोकलेखा समिति के सदस्य बैठक के लिए प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से आते हैं, लेकिन बैठक टल जाने के कारण उन्हें बिना किसी कामकाज के वापस लौटना पड़ता है। यह बात उचित नहीं है। भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हो। इसके लिए मंत्रालय के सभी सचिव लोकलेखा समिति के अलावा विधानमंडल की अन्य समितियों के कामकाज में हर संभव मदद करें। सरकार ने साफ किया है कि यदि भविष्य में किसी अपरिहार्य कारणों से लोकलेखा समिति की बैठक टालने की नौबत आती है तो इसके लिए पहले मुख्य सचिव से अनुमति ली जाए। इससे संबंधित पत्र मुख्य सचिव के कार्यालय में सात दिन पहले जमा कराना होगा। समय पर नहीं आने वाले आवेदन पर विचार नहीं किया जाएगा।
Created On :   13 Sep 2018 2:15 PM GMT