विधानसभा चुनाव : इच्छुक उम्मीदवारों की बेचैनी कायम

Assembly Election : interested candidates persists restlessness
विधानसभा चुनाव : इच्छुक उम्मीदवारों की बेचैनी कायम
विधानसभा चुनाव : इच्छुक उम्मीदवारों की बेचैनी कायम

डिजिटल डेस्क, नागपुर। विधानसभा चुनाव को लेकर इच्छुक उम्मीदवारों में बेचैनी कायम है। प्रमुख दलों में गठबंधन की तस्वीर साफ नहीं हो पायी है। वहीं इच्छुक उम्मीदवारों को पार्टी की ओर से कोई निर्देश या संकेत तक नहीं मिल रहा है। लिहाजा चुनाव कार्य की तैयारी पर भी प्रभाव पड़ा है। सबसे अधिक बेचैनी भाजपा में है। विपक्ष की स्थिति को कमजोर मानते हुए भाजपा ने सभी सीटों पर चुनाव की तैयारी की है। जिले में सावनेर को छोड़कर सभी सीटों पर भाजपा के विधायक हैं। पिछले 2 वर्ष से बार बार संकेत दिया जा रहा है कि रिपोर्ट कार्ड के आधार पर कुछ विधायकों की टिकट कट सकती है। पिछले चुनाव में भाजपा ने विधायक विजय घोडमारे की चुनाव के समय टिकट काटी थी। शहर के दो विधायकों को आखिर समय में उम्मीदवार बनाया गया था। उत्तर नागपुर में आश्वासन के बाद भी दो इच्छुकों को उम्मीदवार नहीं बनाया जा सका था। सबसे अधिक इच्छुक उम्मीदवार उत्तर व दक्षिण नागपुर में थे। इस बार भी भाजपा के विधायकों को अन्य दावेदारों की चुनौती मिल रही है।

पश्चिम नागपुर में सुधाकर देशमुख के स्थान पर अन्य को मौका देने की मांग के साथ 6 से अधिक दावेदार सामने आए हैं। दक्षिण में सुधाकर कोहले को मोहन मते, रवींद्र भोयर व अन्य की चुनौती मिल रही है। मध्य में विकास कुंभारे को भी अन्य दावेदारों की चुनौती मिल रही है। उत्तर में मिलिंद माने के साथ भी ऐसी ही स्थिति है। पार्टी की ओर से चुनाव तैयारी करने का निर्देश नहीं मिलने से सभी विधायकों की बेचैनी कायम है। पूर्व मेें विधायक कृष्णा खोपडे, हिंगणा में विधायक समीर मेघे की उम्मीदवारी तय मानी जा रही है। लेकिन उनके नाम भी घोषणा नहीं हो पायी है। शिवसेना की टिकट पर दांव आजमाने के इच्छुकों को महायुति की सीट साझेदारी का इंतजार है। शिवसेना के इच्छुक उम्मीदवार मुंबई में डंटे हैं। राकांपा में इच्छुक उम्मीदवारों के नाम ही सामने नहीं आ पा रहे है। कांग्रेस में इच्छुकों के दिल्ली दौरे चल ही रहे हैं।

दिल्ली से कुछ इच्छुकों के नाम सबसे आगे होने की चर्चाएं सुनी जा रही है। लेकिन इच्छुक उम्मीदवारों के पैनल में शामिल नेताओं का ही कहना है कि नामांकन दर्ज हाेने तक कुछ नहीं कहा जा सकता है। कांग्रेस में एबी फार्म तक वापस हो जाते हैं। स्थिति यह है कि कांग्रेस के इच्छुक उम्मीदवार अपने करीबी लोगों को भी यह नहीं बता रहे है कि वे किस नेता से मिलने जा रहे हैं या मिलकर आए हैं। उधर बसपा ने साक्षात्कार तो शुरु किया है लेकिन ऐसे कार्यकर्ता की तलाश भी कर रहे हैं जो आर्थिक खर्च में सक्षम हो। वंचित बहुजन आघाड़ी की भी वैसी ही स्थिति है।

Created On :   20 Sep 2019 3:47 PM GMT

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