बेटे की चाह में गर्भपात, महिला की मौत का मामला: फैसला आने तक डॉक्टर के प्रैक्टिस पर रोक

Ban on the practice of Doctor on the death of a pregnant lady
बेटे की चाह में गर्भपात, महिला की मौत का मामला: फैसला आने तक डॉक्टर के प्रैक्टिस पर रोक
बेटे की चाह में गर्भपात, महिला की मौत का मामला: फैसला आने तक डॉक्टर के प्रैक्टिस पर रोक

डिजिटल डेस्क,मुंबई। गर्भपात के दौरान महिला की मौत के मामले में आरोपी एक डॉक्टर को बांबे हाईकोर्ट ने इस शर्त पर जमानत दी है कि इस मामले का फैसला आने तक प्रैक्टिस नहीं कर सकेगा।

उल्लेखनीय है कि भ्रूण परीक्षण के बाद दो बेटियों की मां स्वाती जमदाडे की गर्भपात के दौरान मौत हो गई थी। स्वाती जब तीसरी बार गर्भवती हुई तो उसके पति ने कहा कि अब उसे बेटी नहीं चाहिए। लिहाजा वह डॉक्टर बीए खिदरापुरे के अस्पताल में गर्भपात के लिए गई थी। गर्भपात के दौरान हुए अत्याधिक रक्तस्त्राव के चलते उसकी मौत हो गई। उस समय उसके पेट में 18 सप्ताह का भ्रूण था। घटना के बाद स्वाती के पिता ने डॉक्टर खिदरापुरे व उसके पति के खिलाफ मिरज पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई।

पुलिस ने डॉक्टर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 304,313,314,315,315,316,420,201 व 120 बी सहित विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया।  इस प्रकरण में एक साल से जेल में बंद खिदरापुरे ने हाईकोर्ट में जमानत के लिए आवेदन दायर किया था।

जस्टिस साधना जाधव के सामने आवेदन पर सुनवाई हुई। मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद जस्टिस ने पाया कि मामले की जांच पूरी हो चुकी है। पुलिस ने आरोपपत्र भी दायर कर दिया है। इसके अलावा महिला के पति को भी जमानत मिल चुकी है। खिदरापुरे के वकील ने जस्टिस के सामने कहा कि मेरे मुवक्किल लिखित रूप से आश्वासन देने को तैयार है कि जब तक इस प्रकरण से जुड़े मुकदमे का फैसला नहीं आ जाता तब तक वे डॉक्टर के रूप में प्रैक्टिस नहीं करेंगे। इसके बाद जस्टिस ने डॉक्टर खिदरापुरे को 50 हजार रुपए के मुचलके पर जमानत प्रदान कर दी। जस्टिस ने डॉक्टर को अपना पासपोर्ट मिरज ग्रामीण पुलिस के पास जमान करने का निर्देश दिया है। साथ ही कहा कि वे मुकदमे का निपटारा होने तक सांगली छोड़कर न जाएं और सबूतों के साथ छेड़छाड न करें। 

Created On :   18 Aug 2018 5:14 PM IST

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