आतंकी संगठनों और नक्सलियों को बेचते थे प्रतिबंधित दवा, गिरोह का भांडाफोड़

Banned drugs old to terrorist organizations and Naxals, Four arrested
आतंकी संगठनों और नक्सलियों को बेचते थे प्रतिबंधित दवा, गिरोह का भांडाफोड़
आतंकी संगठनों और नक्सलियों को बेचते थे प्रतिबंधित दवा, गिरोह का भांडाफोड़

डिजिटल डेस्क, मुंबई। ठाणे पुलिस ने प्रतिबंधित दवा देश-विदेश में बेचने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए चार लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने ट्रामाडॉल नाम की जो दवा बरामद की है, उसका इस्तेमाल आतंकी संगठन आईएसआईएस के लड़ाके और नक्सली भी करते हैं क्योंकि इसे खाने के बाद दर्द का एहसास नहीं होता और व्यक्ति को नशा भी हो जाता है। बरामद दवा की कीमत देश में 12 लाख 80 हजार रुपए है लेकिन अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत पांच करोड़ रूपए तक बताई जा रही है।

पुलिस उपायुक्त दीपक देवराज ने आशंका जताई है कि गिरोह पकड़ी गई दवाइयों की खेप नक्सलियों और खाड़ी देशों में आईएसआईएस लड़ाकों को बेची जानी थी। इस दवा की आईएसआईएस लड़ाकों में खासी मांग है। इसे फाइटर ड्रग के नाम से भी जाना जाता है। देवराज के मुताबिक इस दवा का सेवन करने के बाद दर्द का एहसास नहीं होता साथ ही नशा भी होता है। ट्रामाडॉल दवा को इसी साल अप्रैल महीने में केंद्र सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया था। मामले में गिरफ्तार आरोपी संतोष पांडे की इंदौर में फार्मा कंपनी है।

यहीं बरामद दवा का अवैध उत्पादन किया जा रहा था। एजेंटों के जरिए इसे इंदौर से बाहर भेजा जाता था। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक इस दवा की मांग आतंकी संगठनों के साथ-साथ कैरेबियाई देशों में भी है। ठाणे पुलिस की हफ्ता विरोधी प्रकोष्ठ ने इंस्पेक्टर प्रदीप शर्मा की अगुआई में आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की।

पुलिस के मुताबिक गुप्त सूचना के आधार पर ठाणे के ब्रह्मांड इलाके से सबसे पहले मयूर मेहता नाम के शख्स को पकड़ा गया। पूछताछ में उसने दूसरे आरोपियों के नामों का खुलासा किया। इसके आधार पर पुलिस ने रोमेल वाज, संतोष पांडे और दीपक कोठारी नाम के आरोपियों को दबोचा। पुलिस गिरोह के काम करने के तरीके और इससे जुड़े दूसरे लोगों को भी तलाश रही है।        

Created On :   26 Sep 2018 3:52 PM GMT

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