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भरत गोगावले ने कहा- सुप्रीम कोर्ट में अयोग्यता का मामला चार- पांच साल तक चलेगा
डिजिटल डेस्क, मुंबई। शिवसेना के बागी शिंदे गुट के मुख्य सचेतक विधायक भरत गोगावले ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को असहज करने वाला बयान दिया है। गोगावले ने कहा कि मेरी अयोग्यता और शिवसेना के दोनों गुटों के विवाद जुड़ा मामला सुप्रीम कोर्ट में चार से पांच सालों तक चलेगा। तब तक मैं साल 2024 में दोबारा विधानसभा का चुनाव जीत कर आ जाऊंगा और हम फिर से एक बार सत्ता में लौटकर आएंगे। शिवसेना का चुनाव चिन्ह धनुष-बाण भी हम लेंगे। गोगावले के बयान से सत्तारूढ़ भाजपा ने अपने को अलग कर लिया है। जबकि शिंदे गुट की ओर से राज्य के स्कूली शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने स्पष्टीकरण दिया है। केसरकर ने गोगावले के बयान के लिए माफी मांगी है। वहीं विपक्ष ने गोगावले के बयान पर कटाक्ष किया है। रविवार को रायगड के कर्जत के एक कार्यक्रम में गोगावले ने कहा था कि शिवसेना विवाद और विधायकों की अयोग्यता का मामला सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के पास चला गया है। सुप्रीम कोर्ट में यह मामला लगभग चार से पांच सालों तक चलेगा। तब तक मैं साल 2024 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर लूंगा और हम सत्ता में लौटकर भी आएंगे। हम मूल शिवसेना हैं। शिवसेना का चुनाव चिन्ह धनुष-बाण हमारे पास ही होगा। गोगावले के इस बयान पर विवाद बढ़ने के बाद सोमवार को शिंदे गुट के मुख्य प्रवक्ता तथा मंत्री केसरकर ने सफाई दी है। केसरकर ने दावा करते हुए कहा कि गोगावले ने गलती से यह बयान है। उन्हें इस तरह से विवादित बयान नहीं देने के निर्देश दिए गए हैं। केसरकर ने कहा कि गोगावले महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद का सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मामले के संदर्भ में बोल रहे थे। लेकिन उन्हें सीमा विवाद और शिवसेना के दोनों गुटों के मामले को नहीं जोड़ना चाहिए था। सुप्रीम कोर्ट में यदि कोई मामला चलता है तो उस पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। मैं शिंदे गुट की ओर से गोगावले के बयान को लेकर माफी मांगता हूं। जबकि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने नागपुर में कहा कि मेरे पास गोगावले के बयान की जानकारी नहीं है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला होगा वह हमें स्वीकार होगा। वहीं राकांपा के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटील ने कहा कि अदालत में सुनवाई को लेकर हो रही देरी को लेकर शिंदे गुट को कितना ज्यादा आत्म विश्वास है। यह गोगावले के बयान से स्पष्ट होता है। अब अदालत को खुद तय करना होगा कि न्याय प्रणाली पर देश की जनता का विश्वास टिकाए रखना है अथवा नहीं।
Created On :   29 Aug 2022 10:18 PM IST