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मां की बरसी के लिए भीमा-कोरेगांव मामले के आरोपी को मिली अंशकालिक जमानत
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने भीमा-कोरेगांव के एल्गार परिषद मामले में आरोपी व पेशे से वकील सुरेंद्र गडलिंग को अंशकालिक जमानत प्रदान की है। न्यायमूर्ति एसएस शिंदे व न्यायमूर्ति एनजे जमादार की खंडपीठ ने गडलिंग को अपनी मां की पहली पुण्यतिथि से जुड़ी धार्मिक क्रियाओं को पूरा करने के लिए जमानत प्रदान की है। आरोपी की मां का पिछले साल निधन हो गया था। तलोजा जेल में बंद गडलिंग को खंडपीठ ने 13 अगस्त से 21 अगस्त 2021 के बीच जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया है। खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि आरोपी नागपुर शहर से सिर्फ बीना नदी में मां की अस्थी विसर्जन के लिए बाहर जाएगे। इसके अलावा आरोपी को नागपुर से बाहर जाने की अनुमति नहीं होगी। खंडपीठ ने आरोपी को अपना पासपोर्ट राष्ट्रीय जांच एजेंसी की विशेष अदालत के पास जमा करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही खंडपीठ ने आरोपी को 50 हजार रुपए का मुचलना,दो जमानतदार व जमानत की अवधि के दौरान अपनी गतिविधियों की भी जानकारी कोर्ट को देने को कहा है। खंडपीठ ने आरोपी को 16 व 19 अगस्त को सुबह 10 बजे स्थानीय पुलिस स्टेश में हाजरी लगाने को कहा है। इससे पहले निचली अदालत ने आरोपी को पिछले साल अपनी मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने की अनुमति देने से इंकार कर दिया था। इसलिए आरोपी ने आर. सत्यनारयण व वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह के माध्यम से हाईकोर्ट में अपील की थी। सुनवाई के दौरान आरोपी की ओर से पैरवी कर रही वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जय सिंह ने खंडपीठ को बताया कि उनके मुवक्किल की मां की पुण्यतिथि (15 अगस्त) के दिन कुछ धार्मिक क्रियाए होनी है। यह पहले निजी परेशानियों के चलते नहीं हो पायी थी। इसलिए मेरे मुवक्किल को अंशकालिक जमानत पर रिहा किया जाए। गौरतलब है कि आरोपी को इस मामले में 6 जून 2018 को गिरफ्तार किया गया था।
हाईकोर्ट में प्रत्यक्ष सुनवाई का समर्थन
इसके अलावा बार काउंसिल आफ महाराष्ट्र एंड गोवा ने बांबे हाईकोर्ट में दो अगस्त से शुरु होनेवाली प्रत्यक्ष सुनवाई का समर्थन व स्वागत किया है। इस बारे में काउंसिल के सदस्य सुभाष घाटगे ने बताया कि हम काफी पहले से मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता प्रत्यक्ष सुनवाई की मांग कर रहे थे लेकिन कोरोना की स्थिति में सुधार न होने के चलते यह संभव नहीं हो पा रहा था। लेकिन गुरुवार को हाईकोर्ट की प्रशासकीय कमेटी की बैठक के बाद तीन दिन प्रत्यक्ष सुनवाई के बारे में निर्णय किया गया है। इसके साथ ही अब राज्य के 25 जिलों में निचली अदालतों में भी प्रत्यक्ष सुनवाई की सुनवाई शुरु हो सकेगी। इस दौरान सभी को कोरोना से बचाव को लेकर तय किए गए ज प्रोटोकाल का पालन करना होगा। उन्होंने बताया कि राज्य के महाधिवक्ता व एडिशनल सॉलिसिटर नजरल अनिल सिंह ने आश्वस्त किया है कि जिन वकीलों को कोरोना के टीके एक अथवा दोनों डोज लग चुके है। उन्हें रेलवे टिकट उपलब्ध कराया जाएगा। प्रशासकीय कमेटीकी बैठक में बारकाउंसिल आफ महाराष्ट्र एंड गोवा के चेयरमैन अनिल गोवारदिपे व अधिवक्ता उदय वारुंजेकर सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
Created On :   30 July 2021 8:08 PM IST