- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- मुंबई
- /
- जारी है रेमडेसिविर की कालाबाजारी का...
जारी है रेमडेसिविर की कालाबाजारी का खेल, पांच और गिरफ्तार - 8 इंजेक्शन बरामद
डिजिटल डेस्क, मुंबई। कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाले रेमडेसिविर की कमी को लेकर नेताओं की बयानबाजी के बीच इसकी धड़ल्ले से कालाबाजारी जारी है। ठाणे जिले के मीरो रोड इलाके में पुलिस ने दो मामलों में रेमडेसिविर बेहद ऊंची कीमत पर बेचने की कोशिश करते पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपियों के पास से रेमडेसिविर के 8 वायल्स बरामद हुए हैं।दरअसल इलाके के लोग लगातार 100 पर फोन कर पुलिस से शिकायत कर रहे थे कि अस्पताल और मेडिकल स्टोर पर उन्हें इंजेक्शन नहीं मिल रहे हैं लेकिन कुछ लोग सोशल मीडिया के जरिए संपर्क कर उनसे मनमानी कीमत मांग रहे हैं। सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र कांबले ने बताया कि पुलिस आयुक्त के निर्देश पर इस तरह की शिकायतों की छानबीन के लिए टीम बनाई गई। टीम ने फर्जी ग्राहक के जरिए एक आरोपी से संपर्क किया तो उसने रेमडेसिविर का एक इंजेक्शन साढ़े 12 हजार रुपए में देने की बात कही। सौदा तय किया। इसके बाद पुलिस ने जाल बिछाकर पहले इंजेक्शन देने आए दो आरोपियों को फिर उनके एक साथी को दबोचा। आरोपियों के पास से रेमडेसिविर के 3 इंजेक्शन बरामद किए गए। मामले में गिरफ्तार आरोपियों के नाम समीउल्लाह शेख, मोहम्मद इरशाद हसन और मोहम्मद तबरेज शेख है। इसी तरह के एक और मामले में नया नगर पुलिस ने रेमडेसिविर की कालाबाजारी कर रहे दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों के पास से रेमडेसिविर के पांच इंजेक्शन बरामद किए गए हैं। दोनों मामले में कोर्ट में पेशी के बाद आरोपियों को पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है।
18 हजार में ऑनलाईन मंगाया रेमडेसिविर, निकला नकली
वहीं रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए परेशान लोग इसे हासिल करने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं और इस कोशिश में बड़े पैमाने पर वे ठगी का शिकार हो रहे हैं। मुंबई के तिलकनगर में रहने वाली मेघना ठक्कर नाम की एक महिला ने ऑनलाइन रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीदने की कोशिश की।इसके लिए महिला ने 18 हजार रुपए का ऑनलाइन भुगतान भी कर दिया। उसके बाद रेमडेसिविर इंजेक्शन का बॉक्स भी पहुंचा लेकिन बाद में जांच में पता चला कि इंजेक्शन नकली है। इसके बाद महिला ने तिलकनगर पुलिस स्टेशन में मामले की शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ठगी का मामला दर्ज कर छानबीन में जुटी हुई है। ठक्कर को एक रिश्तेदार के लिए रेमडेसिविर की जरूरत थी। इसी दौरान उन्हें ऑनलाइन एक वेबसाइट से रूपेश गुप्ता नाम के व्यक्ति का नंबर मिला जो पैसे का भुगतान करने पर रेमडेसिविर इंजेक्शन घर पहुंचाने का दावा कर रहा था। ठक्कर ने चेतन मिस्री नाम के अपने दोस्त की मदद से गूगल पे के जरिए आरोपी के खाते में 18 हजार रुपए भेज दिए। इसके बाद एक डिलिवरी ब्वाय उनके घर आया और कथित इंजेक्शन का बॉक्स दे गया। ठक्कर की खुशी का ठिकाना नहीं रहा लेकिन जब वे इंजेक्शन लेकर डॉक्टर के पास पहुंची तो पता चला कि वह नकली है। इसके बाद उन्होंने मामले की शिकायत पुलिस से की। सीनियर इंस्पेक्टर सुनील काले ने बताया कि मामले में दो आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 34 के तहत एफआईआर दर्ज कर ली गई है। ठगी के लिए इस्तेमाल मोबाइल और बैंक खाते के जरिए उनकी तलाश की जा रही है।
Created On :   21 April 2021 9:04 PM IST