नौकरी के 10 साल बाद आई जन्म तारीख बदलने की याद

bombay hC rejected petition of policeman who want to change his dob
नौकरी के 10 साल बाद आई जन्म तारीख बदलने की याद
नौकरी के 10 साल बाद आई जन्म तारीख बदलने की याद

डिजिटल डेस्क,मुंबई। जो लोग अपने अधिकारों को लेकर सजग नहीं रहते है, ऐसे लोगों की सहायता कोई कोर्ट व ट्रिब्युनल नहीं कर सकती है। बांबे हाईकोर्ट ने एक पुलिसकर्मी की याचिका को खारिज करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के एक फैसले का हवाला देते हुए यह तल्ख टिप्पणी की है।

तय सीमा के भीतर ही बदलाव संभव: अदालत ने कहा कि कोई भी कर्मचारी अनिश्चित समय के बाद जन्मतारीख में बदलाव करने के लिए नियोक्ता को बाध्य नहीं कर सकता है भले ही उसके पास अपनी जन्म तारीख को लेकर कितने ही पुख्ता प्रमाण क्यों न हो। जन्म तारीख में बदलाव से जुड़े आवेदन निश्चित समय सीमा व युक्तिसंगत समय के भीतर किया जाना चाहिए।  कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश वी.के. ताहिलरमानी व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ ने पुलिस कर्मी  परशुराम शिंदे की याचिका को निरस्त करते हुए यह फैसला सुनाया।

10 वर्ष का अंतर समझने लग गए वर्षों: मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने पाया कि 1971 में पुलिस दल में कांस्टेबल के रुप में शामिल होनेवाले शिंदे 1981 में अपनी जन्म तारीख में बदलाव के लिए आवेदन किया था। आवेदन में शिंदे ने कहा था कि उन्हें अपनी जन्म तारीख को लेकर पुख्ता प्रमाण देरी से मिले हैं। जिसमें जन्म प्रमाणपत्र व जाति प्रमाणपत्र शामिल है। सर्विस बुक में मेरी स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट के आधार पर जो जन्म तारीख लिखी है वह गलत है। इसलिए बदली जन्म तारीख के मुताबिक सेवानिवृत्ति की तारीख 30 सितंबर 2007 है न की 30 सितंबर 2006। कई सालों तक मुझे इस बात एहसास था कि मेरी सेवानिवृत्ति की तारीख साल 2007 में है। क्योंकि जन्म तारीख में बदलाव को लेकर किए गए आवेदन के बाद कई रिकार्ड में मेरी सेवानिवृत्त की तारीख 2007 थी। इसलिए मुझे महसूस हुआ कि जन्म तारीख के मेरे आवेदन को स्वीकार कर लिया गया है। इस बीच मार्च 2006 में पुलिस विभाग से एक पत्र आया जिसमें कहा गया कि उनकी सेवानिवृत्त की तारीख 30 सितंबर 2006 है। 
 

Created On :   6 Jan 2018 7:59 PM IST

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