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हाईकोर्ट : सेबी नोटिस पर प्रणय रॉय को राहत नहीं, हर व्यक्ति को परिवार बनाने का हक

डिजिटल डेस्क, मुंबई। एनडीटीवी चैनल के संस्थापक व प्रमुख प्रणय रॉय व उनकी पत्नी ने भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) की ओर से जारी की गई नोटिस के खिलाफ बांबे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। गुरुवार को कोर्ट ने इस मामले में रॉय को किसी प्रकार की राहत न देने के संकेत दिए हैं। सेबी की ओर से रॉय को जारी की गई नोटिस में इनसाइड ट्रेडिंग से जुड़े नियमों का कथित तौर पर उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है। अपनी याचिका में रॉय ने मांग की है कि उन्हें वे सारे दस्तावेजों का निरीक्षण करने की अनुमति प्रदान की जाए जिसके आधार पर सेबी ने मुझे नोटिस जारी किया है। सेबी ने रॉय को 31 अगस्त 2018 को नोटिस जारी किया था। जिसमें शेयर की कीमतों से जुड़े नियमों का उल्लंघन करने का आरोप रॉय पर लगाया गया है। नोटिस में इसे इन साइड ट्रेडिंग रेग्युलेशन का उल्लंघन बताया गया है। जबकि याचिका में रॉय ने सेबी की नोटिस को अतार्किक व मनमानीपूर्ण बताया है।
गुरुवार को न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति रियाज छागला की खंडपीठ के सामने रॉय की याचिका सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान रॉय की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता ने कहा कि सेबी ने मेरे मुवक्किल पर लगाए गए आरोपों के संबंध में कोई सबूत नहीं पेश किया है। इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता को महसूस होता है कि सेबी के पास उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं है तो वे सेवी के सामने सुनवाई के लिए उपस्थित हो। यदि सबूत नहीं होंगे तो नोटिस अपने आप खत्म हो जाएगी। खंडपीठ ने कहा कि हम इस संबंध में 6 जनवरी को आदेश जारी करेंगे। इस तरह से खंडपीठ ने रॉय को किसी तरह की राहत न देने के संकेत दिए है।
हर व्यक्ति को अपना परिवार बनाने का अधिकार
बांबे हाईकोर्ट ने एक 66 वर्षीय शख्स को 22 वर्षीय युवती को गोद लेने के लिए अनुमति प्रदान कर दी है। पहले कोर्ट ने मैथ्यु एब्रियो को मैलिएसा नाम की युवती का संरक्षक नियुक्त किया था। एब्रियो अनाथ मैलिएसा की उस समय से परवरिश कर रहे हैं जब उसकी उम्र दो साल से कम थी। अब मैलिएसा वयस्क हो चुकी है इसलिए उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर उसे अपनी गोद ली हुई बेटी घोषित किए जाने की मांग की है। महानगर के सांताक्रुज इलाके में रहनेवाले एब्रियो को जब मैलिएसा का संरक्षक नियुक्ति किया गया था तब उनकी पत्नी उनके साथ थी लेकिन साल 2018 में हार्टअटैक के चलते एब्रियो की पत्नी का निधन हो गया है। अब एब्रियो की सेहत भी बिगड़ रही है। वे कैंसर से पीड़ित हैं और अंधेरी के होली फैमली अस्पताल में अपना इलाज करा रहे हैं। फिलहाल वे अपनी बहन के साथ रह रहे हैं। इसके साथ ही वे इंडियन फार्मास्यूटिकल एसोसिएशन (महाराष्ट्र) में कार्यकारी सचिव के रुप में कार्यरत है। वहीं मैलिएसा की भी स्नातक तक की पढाई पूरी हो चुकी है। और वह एक कंपनी में अधिकारी के रुप में कार्यरत है। याचिका में एब्रियो ने दावा किया गया है कि संविधान हर नागरिक को अपना परिवार बनाने का अधिकार देता है। इसलिए इस अधिकार के तहत मैलिएसा को वैधानिक रुप से मेरी बेटी और मुझे उसका पिता घोषित किया जाए। न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी के सामने एब्रियो की याचिका पर सुनवाई हुई। मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि मैलिएसा अब वयस्क व परिपक्व हो चुकी है। वह भी चाहती है कि उसे याचिकाकर्ता की बेटी घोषित किया जाए। ताकि याचिकाकर्ता कानूनी रुप से उसके पिता बन सके और अनाथ होने के भाव से मुक्ति मिल सके। यह बात कहते हुए न्यायमूर्ति ने मुंबई महानगरपालिका को मैलिएसा के नाम का जन्म प्रमाणपत्र नए सिरे से जारी करने का निर्देश दिया और उसमें पिता के रुप में एब्रियो व मां के रुप में एब्रियो की पत्नी के नाम का उल्लेख करने का निर्देश दिया।
Created On :   2 Jan 2020 8:45 PM IST