हाईकोर्ट ने कहा - रनौत के भी तो हैं मौलिक अधिकार, ट्विटर अकाउंट निलंबित करने की मांग पर की टिप्पणी

Bombay High court said that Kangna Ranaut has also fundamental rights
हाईकोर्ट ने कहा - रनौत के भी तो हैं मौलिक अधिकार, ट्विटर अकाउंट निलंबित करने की मांग पर की टिप्पणी
हाईकोर्ट ने कहा - रनौत के भी तो हैं मौलिक अधिकार, ट्विटर अकाउंट निलंबित करने की मांग पर की टिप्पणी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने मौलिक अधिकारों के हनन का हवाला देकर फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत के ट्विटर अकाउंट को निलंबित करने की मांग करनेवाले याचिकाकर्ता का ध्यान रनौत के मूलभूत अधिकारों की ओर ध्यानार्षित कराया है। हाईकोर्ट ने कहा कि जैसे आपके मौलिक अधिकार, ठीक उसी तरह अधिकार रनौत के भी हैं। मूलअधिकार पूर्ण नहीं होते इसमें तर्कसंगत निर्बंध लगाए जा सकते हैं।  हाईकोर्ट में पेशे से वकील अली काशिफ खान देशमुख की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। 

सोमवार को न्यायमूर्ति एसएस शिंदे व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ के सामने देशमुख ने दावा किया कि बोलने की आजादी व नफरभरी बात कहने में अंतर होता है। रनौत के ट्विट से संविधान के अनुच्छेद 21 व 25 के तहत मुझे (याचिकाकर्ता) मिले मौलिक अधिकारों का हनन हुआ है। रनौत के ट्विट भारतीय दंड संहिता की धारा 44 के तहत भी चोट पहुंचाने की परिभाषा में आते है। उनके ट्वीट से मुझे चोट पहुंची है। इसलिए रनौत के ट्विटर अकाउंट के स्थायी रुप से निलंबित करने का निर्देश दिया जाए। याचिका में दावा किया गया है कि रनौत के ट्वित दो समुदाय के बीच नफरत फैलाते है। यहीं नहीं वे महाष्ट्र की छवि को भी भी धूमिल करते है। 

इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि जैसे याचिकाकर्ता के अधिकार है वैसे ही अधिकार रनौत के भी है। ऐसे में हम आपकी(याचिकाकर्ता) पर कैसे विचार कर सकते है। आप हमे बताए कि इस मामले में तर्कसंगत निर्बंध क्या हो सकते है। वहीं सरकारी वकील जयेश याज्ञनिक ने कहा कि यह याचिका पूरी तरह से अस्पष्ट है। कल को कोई भी अखबार में किसी विषय पर समाचार पढ़कर व टीवी में खबर सुनकर याचिका दायर करेगा कि खबर से उसके मौलिक अधिकारों का हनन है। यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता को इस मामले को लेकर जनहित याचिका दायर करनी चाहिए। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई 7 जनवरी 2021 तक के लिए स्थगित कर दी है और याचिकाकर्ता को दूसरे कानूनी विकल्पों पर विचार करने को कहा है। 
 

Created On :   21 Dec 2020 7:15 PM IST

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