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मराठा समाज के छात्रों को राहत देने अध्यादेश को मंत्रिमंडल की मंजूरी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश में सामाजिक व शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग (एसईबीसी) के लिए लागू 16 प्रतिशत आरक्षण के अनुसार मेडिकल और डेंटल के स्नातकोत्तर (पीजी) पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को राहत मिल गई है। शुक्रवार को राज्य मंत्रिमंडल ने मराठा समाज के मेडिकल छात्रों के दाखिले को बरकरार रखने के लिए अध्यादेश को मंजूरी दी। मंत्रिमंडल ने एसईबीसी कोटा से प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों के कारण सामान्य वर्ग के जिन विद्यार्थियों को निजी मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेना पड़ेगा, उनकी फीस की प्रतिपूर्ति करने का निर्णय लिया है। शुक्रवार को राज्य अतिथिगृह सह्याद्री में पत्रकारों से बातचीत में प्रदेश के राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटील ने बताया कि राज्यपाल सी विद्यासागर राव के हस्ताक्षर के बाद अध्यादेश लागू हो जाएगा। उन्होंने बताया कि मंत्रिमंडल ने एसईबीसी वर्ग के लिए आरक्षण अधिनियम-2018 की धारा 16(2) में संशोधन कर इस पर तत्काल अमल करने की मंजूरी दी है। इसमें शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश के लिए सीटों और राज्य के नियंत्रण क्षेत्र की लोकसेवा में नियुक्त व पद का समावेश है। पाटील ने कहा कि अध्यादेश में प्रवेश प्रक्रिया को स्पष्ट किया गया है। अध्यादेश लागू होने से जो दाखिले हुए थे वे वैसे ही बरकरार रहेंगे। मेडिकल के तीसरे राऊंड के प्रवेश के लिए आखिरी तारीख 25 मई को बढ़ाकर 31 मई करने की मांग सुप्रीम कोर्ट में की गई है। इसके अलावा सरकार ने मेडिकल के लिए 195 और डेंटल के लिए 22 सीटें बढ़ाने की मांग केंद्र सरकार से की है। इस पर 21 मई को केंद्र से फैसला होने की उम्मीद है।
अध्यादेश से सामान्य वर्ग के छात्र नाराज
दूसरी ओर मंत्रिमंडल के अध्यादेश जारी करने के फैसले से सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों ने नाराजगी जताए हुए अदालत में जाने का मन बनाया है। सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों के अभिभावकों ने अध्यादेश को अदालत में चुनौती देने का फैसला लिया है। इसको देखते हुए राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में कैविएट दाखिल करेगी।
हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने लगाई थी रोक
इसके पहले शैक्षिणक वर्ष 2019-20 में मेडिकल के एमडीएस, एमडी, एमएस व डीएनएस पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय प्रवेश व पात्रता परीक्षा (नीट) के जरिए विद्यार्थियों का चयन हुआ था। इसमें एसईबीसी वर्ग के तहत मराठा समाज के विद्यार्थियों को 16 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिला। लेकिन मेडिकल की प्रवेश प्रक्रिया 30 नवंबर को मराठा आरक्षण लागू होने से पहले शुरू हो गई थी। इस आधार पर बांबे होईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने एक याचिका की सुनवाई पर सुनवाई करते हुए फैसला दिया कि इस शैक्षणिक वर्ष में 16 प्रतिशत मराठा आरक्षण को लागू नहीं किया जा सकता। इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। सरकार ने अदालत में कहा कि नीट परीक्षा के लिए 2 नवंबर को परिपत्र जारी हुआ था। लेकिन मेडिकल की प्रवेश प्रक्रिया 22 फरवरी से शुरू हुई। इसलिए मराठा समाज के लिए 30 नवंबर को लागू 16 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को कायम रखा। इससे नाराज मराठा समाज के छात्र पिछले बारह दिनों से आजाद मैदान पर धरना दे रहे हैं। मराठा समाज की नाराजगी के मद्देनजर अब राज्य सरकार ने अध्यादेश जारी करने का फैसला लिया है।
Created On :   17 May 2019 9:13 PM IST