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"लापरवाही के आरोपों के आधार पर नहीं कर सकते मुआवजे का दावा"

डिजिटल डेस्क, मुंबई। सिर्फ लापरवाही के आरोप के आधार पर दुर्घटना में होने वाली मौत को लेकर मुआवजे की मांग नहीं की जा सकती है। यह कहते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई निवासी एक महिला की याचिका को खारिज कर दिया। बिजली का करंट लगने से याचिकाकर्ता के बेटे की मौत हो गई थी। इसलिए उसने रिलायंस इंफ्रास्टेक्चर (रिलायंस एनर्जी) कंपनी को मुआवजा दिए जाने का निर्देश देने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में महिला ने दावा किया था कि उसके 17 वर्षीय बेटे की मौत मुंबई उपनगर में बिजली आपूर्ति करने वाली रिलायंस इंफ्रास्टेक्चर कंपनी की लापरवाही के चलते हुई है। मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति भारती डागरे की बेंच ने कहा बिजली का करंट लगने के मामले में मुआवजे की मांग तभी की जा सकती है, जब प्रकरण से जुड़े तथ्य निर्विवादित हो।
वकील ने किया लापरवाही के सारे आरोपों का खंडन
याचिका में महिला ने कहा था कि साल 2010 में रिलायंस एनर्जी ने भूमिगत केबल बिछाने का काम शुरू किया था। जिस रास्ते से लड़का आ रहा था, वहां बिजली आपूर्ति करने वाला बाॅक्स खुला हुआ था। उस वक्त बरसात भी हो रही थी, जिसके चलते वह बिजली के तार के संपर्क में आ गया और झटके से वह बगल स्थित एक गड्ढे में गिर गया। इससे उसकी मौत हो गई। रिलायंस इंफ्रास्टेक्चर की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने लापरवाही के सारे आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि जिस जगह लड़के की मौत हुई है, वहां पर बड़े पैमाने पर बिजली चोरी की शिकायतें हमें मिली थी। हो सकता है किसी बिजली चोरी के लिए किसी व्यक्ति ने बिजली के बाॅक्स को खुला छोड़ दिया हो।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद बेंच का फैसला
मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद बेंच ने कहा कि किसी तीसरे व्यक्ति की लापरवाही के लिए बिजली कंपनी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। यह कहते हुए बेंच ने याचिका को खारिज कर दिया। बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता चाहे तो कोर्ट में सिविल सुट दायर कर सकता है।
Created On :   4 Feb 2018 4:04 PM IST