पीएचडी प्रवेश के नियम बदले, अब गलत उत्तर पर होगी माइनस मार्किंग

Changed the rules of PhD admission, now it will be Negative Marking
पीएचडी प्रवेश के नियम बदले, अब गलत उत्तर पर होगी माइनस मार्किंग
पीएचडी प्रवेश के नियम बदले, अब गलत उत्तर पर होगी माइनस मार्किंग

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  नागपुर यूनिवर्सिटी ने अपने पीएचडी प्रवेश परीक्षा (पेट) के नियमों में बदलाव किया है। जिसमें  पेट परीक्षा में प्रत्येक गलत उत्तर पर आधा नंबर कटेगा। पूर्व में दो गलत उत्तरों पर आधा नंबर काटा जाता था। दरअसल विवि ने जानबूझ कर पेट परीक्षा के नियमों को सख्त किया है, ताकि विश्वविद्यालय समिति बेहतर गुणवत्ता वाली पीएचडी डिग्री प्रदान करे।

प्रवेश परीक्षा में नेगेटिव मार्किंग के साथ ही पीएचडी प्रक्रिया में और भी बदलाव होंगे। अब तक पीएचडी शोध प्रबंध पूरा होने के बाद विवि द्वारा तय किए गए तीन परीक्षकों द्वारा उसकी जांच की जाती थी। इसमें से दो लोग प्रबंध पास करते तो प्रबंध स्वीकार कर लिया जाता, लेकिन अब से ऐसा नहीं होगा। अब तीनों परीक्षक प्रबंध को पास करेंगे तो ही प्रबंध स्वीकार किया जाएगा। इसी तरह इस बार विवि ने ज्येष्ठ नागरिकों के लिए भी एक सुविधा शुरू की है। अब तक ऑनलाइन पद्धति से यह परीक्षा दो चरणों (पेट-1 और पेट-2) में होती थी। ज्येेष्ठ नागरिकों के लिए यह परीक्षा ऑफलाइन मोड में भी ली जाएगी। 

पूर्व कुलसचिव को थमाया चार्जशीट
यूनिवर्सिटी ने पूर्व कुलसचिव अशोक गोमासे के खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी है।  नागपुर खंडपीठ को यह जानकारी दी। विवि ने अपने हलफनामे में कोर्ट को बताया कि उन्होंने गोमासे को उनके खिलाफ चार्जशीट भी दे दी है। 

बता दें कि नागपुर खंडपीठ के आदेश के बाद यह जांच शुरू की गई है। हाईकोर्ट में उमेश बोरकर ने याचिका दायर कर सेंट्रल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मॉस कम्युनिकेशन के संचालक सुनील मिश्रा पर छात्रवृत्ति में हेरफेर करने का आरोप लगाया था। याचिकाकर्ता उमेश बोरकर की दलील है कि विद्यापीठ अधिनियम के अनुसार शैक्षणिक शुल्क संबंधी आदेश जारी करने का अधिकार विद्यापीठ व्यवस्थापन परिषद को होता है। 5 दिसंबर 2013 को मिश्रा ने अवैध तरीके से विद्यापीठ के तत्कालीन कुलसचिव अशोक गोमासे से शुल्क वृद्धि का बनावटी पत्र तैयार करवाया और पिछड़ा वर्ग श्रेणी के विद्यार्थियों की फीस के रूप में समाज कल्याण विभाग से छात्रवृत्ति वसूल की। इस मामले में कॉलेज पर 59 लाख रुपए की वसूली भी निकाली गई है।

अलग से होगी 296 विद्यार्थियों की परीक्षा 
इधर, हाईकोर्ट ने नागपुर विश्वविद्यालय से इस मामले से जुड़े सेंट्रल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्यूनिकेशन के 296 विद्यार्थियों की अलग से परीक्षा लेने को कहा है। साथ ही समाजकल्याण विभाग को सभी विद्यार्थियों की परीक्षा फीस भरने के आदेश दिए गए हैं। छात्रवृत्ति में हेरफेर में कॉलेज प्रबंधन का नाम सामने आने के बाद वर्ष 2015 से ही यहां के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति की प्रतिपूर्ति नहीं मिल रही थी। ऐसे में लोकेश मेश्राम समेत अन्य विद्यार्थियों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। कोर्ट ने विद्यार्थियों की परीक्षा लेने का अादेश जारी करके मामले की सुनवाई 15 जनवरी को रखी है। विद्यार्थियों की ओर से एड.भानुदास कुलकर्णी, विवि की ओर से विशेष वकील एड.पी.सत्यनाथन ने पक्ष रखा।
 

Created On :   16 Nov 2017 11:02 AM GMT

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