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भेड़-बकरियों के लिए भी शुरु होगी चारा छावनी, चव्हाण बोले- सूखे से निपटने फेल सरकार
डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य के कई इलाकों में सूखे के मद्देनजर बकरियों और भेड़ों के लिए भी चारा छावनी शुरु किए जाएंगे। शुक्रवार को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इसे पायलेट प्रोजेक्ट के रुप में शुरू करने का फैसला लिया गया। इससे छोटे जानवरों को भी राहत मिलने की उम्मीद है। इसके अलावा प्रदेश में रोजगार गारंटी योजना के तहत कार्यों की मांग का प्रस्ताव आने पर तीन दिन में संबंधित प्रशासकीय मशीनरी को प्रस्ताव को मंजूरी देनी होगी। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि इस काम में लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। सूखा प्रभावित इलाकों में राशन कार्ड उपलब्ध न होने पर किसानों और मजदूरों को तत्काल राशन कार्ड वितरित करने का फैसला किया गया है। शुक्रवार को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में प्रदेश में सूखे की स्थिति से निपटने के लिए विभिन्न उपाय योजना लागू करने करने के बारे में व्यापक समीक्षा की गई। नरेगा योजना के तहत राज्य में 36 हजार 660 काम शुरू है। 3 लाख 40 हजार 352 मजदूर काम कर रहे हैं। इसके अलावा 5 लाख 74 हजार 430 काम सेल्फ पर है। प्रदेश सकार की तरफ से दिसंबर 2018 के फैसले के अनुसार 8.50 लाख परिवार और 35 लाख व्यक्तियों को अन्न सुरक्षा योजना में शामिल किया गया है। विदर्भ व मराठवाड़ा के किसान आत्महत्याग्रस्त 14 जिलों के 60 लाख किसान परिवारों को अन्न सुरक्षा योजना का लाभ पहले से दिया जा रहा है। सूखा प्रभावित इलाकों के गांवों में राशन कार्ड उपलब्ध नहीं होने पर वार्षिक आय के अनुसार राशन कार्ड तत्काल देने के आदेश दिए गए हैं। इसके अलावा सूखे के कारण स्थलांतरित नागरिकों को पोर्टेबिलिटी सुविधा के अनुसार अनाज उपलब्ध कराने को कहा गया है। प्रदेश में फिलहाल 13 हजार 801 गांवों और बस्तियों में 5,493 टैंकरों से जलापूर्ति की जा रही है। औरंगाबाद विभाग के 2,824 गांवों और बस्तियों में 2,917 टैंकर शुरू है। सूखा प्रभावित इलाकों में पशुओं के लिए 1,429 चारा छावनी शुरू है। चारा छावनियों में 8 लाख 42 हजार 150 बड़े और 1 लाख 2 हजार 630 छोटे कुल 9 लाख 44 हजार 780 पशु हैं। मुख्यमंत्री पेयजल योजना के तहत 743 योजना का प्रस्ताव मंजूर हुआ है। इसमें से 118 जलापूर्ति योजना शुरू हो गई है। पुनर्जीवित योजना कार्यान्वित करने के लिए 28 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है। इसमें से 18 योजना शुरू हो गई है। राष्ट्रीय पेयजल कार्यक्रम के तहत पिछले साल 300 योजना शुरू हुई है।
सूखे से निपटने फेल हो रही सरकार: चव्हाण
उधर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने राज्य सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सूखे की स्थिति से निपटने में असफल हो रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री अपने एसी केबिन से बाहर निकल कर राज्य का दौरा करें जिससे वे सूखा पीड़ितों की पीड़ा से परिचित हो सकें। शुक्रवार को पत्रकारो से बातचीत में चव्हाण ने कहा कि सरकार सूखा पीड़ितों की मदद का दावा कर रही है। हमारी मांग है कि सरकार उन गावों की सूची जारी करें जिनकों सूखा राहत राशि दी गई है। उन्होंने कहा कि विदर्भ, उत्तर महाराष्ट्र, मराठवाडा में फलबाग नष्ट हो गए हैं। कई जगहों पर बागीचे पूरी तरह से सूख गए हैं। लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से उनका पंचनामा नहीं किया गया। कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार किसानों के सब्र का इम्तहान न ले। फल बाग के लिए 1 रुपए प्रति हेक्टेयर का अनुदान तुरंत दिया जाए। चव्हाण ने मुख्यमंत्री द्वारा आडियो ब्रिज के माध्यम से सूखा प्रभावित क्षेत्र के लोगों से बातचीत की आलोचना करते हुए कहा कि उन्हें तकनीक से सूखे की समीक्षा की बजाय सूखा प्रभावित इलाकों का दौरा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि चारा छावनियों के लिए एक खास कंपनी के साफ्टवेयर इस्तेमाल करने की बाध्यता ठीक नहीं है। चव्हाण ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि जलयुक्त शिवार योजना से महाराष्ट्र के 16 हजार गांव सूखा मुक्त हो गए, ऐसे मे राज्य में कैसे सूखा पड़ा? यदि यह योजना सफल है तो राज्य के कई इलाके आज सूखे की चपेट में क्यों हैं। इस योजना का पैसा कहां गया। उन्होंने बताया कि पार्टी नेताओं ने 10 दिनों तक सूखा प्रभावित इलाकों का दौरा कर अपनी रिपोर्ट तैयार की है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि सूखा राहत के लिए क्या-क्या किया जाना चाहिए। लोगों को बड़े टैंकर के लिए 4 हजार और छोटे टैंकर पानी के लिए 2 हजार रुपए देने पड़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि पार्टी नेताओं द्वारा तैयार सूखे की रिपोर्ट को मुख्यमंत्री को सौपा जाएगा।
Created On :   17 May 2019 10:28 PM IST