सौर ऊर्जा नहीं, महावितरण की बिजली से दौड़ रहीं टैक्सियां

Cheating on name of solar energy, taxis running on electricity of Mahavitaran
सौर ऊर्जा नहीं, महावितरण की बिजली से दौड़ रहीं टैक्सियां
सौर ऊर्जा नहीं, महावितरण की बिजली से दौड़ रहीं टैक्सियां

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर में पर्यावरणपूरक और सस्ते यातायात के साधनों को उपयोग में लाने का प्रयास किया जा रहा है। कंपनी का दावा है कि देश में पहली बार उपराजधानी में सौर ऊर्जा से चलने वाली टैक्सी को शुरू किया गया है, लेकिन पिछले डेढ़ माह से सौर ऊर्जा की बजाय महावितरण की बिजली से टैक्सियां चलाई जा रही हैं।

योजना के तहत 26 मई से शहर में सौर ऊर्जा संचालित इलेक्ट्रिक टैक्सी शुरू की गई है। बंगलुरु की निजी सेवा प्रदाता कंपनी ओला कैब के माध्यम से 50 करोड़ की लागत से इनफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर 50 टैक्सियों को सड़कों पर उतारा गया है। ओला कंपनी के अधिकारी भी मान रहे हैं कि फिलहाल सौर ऊर्जा से टैक्सी की बैटरी चार्जिंग की व्यवस्था नहीं हो पाई है, जिसके चलते सौर ऊर्जा की बजाय अब भी पारंपरिक बिजली से ही चार्जिंग हो रही है। सौर ऊर्जा से चलने वाले वाहनों के प्रचार के बाद भी बिजली का इस्तेमाल होने से पर्यावरण की सुरक्षा की बजाय खतरे बढ़ने लगे हैं।

मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर बेंच समेत नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने भी शहर में ध्वनि एवं वायु प्रदूषण को रोकने के इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं। इस दिशा में राज्य सरकार ने नए सिरे से प्रयास भी आरंभ किए हैं, लेकिन इन प्रयासों के बाद भी प्रदूषण पर नियंत्रण पाना संभव नहीं हो पा रहा है। हाल ही में परिवहन मंत्रालय की पहल पर सौर ऊर्जा से चलने वाली टैक्सी शुरू की गई है। इस सेवा की संचालक कंपनी ओला कैब ने कहा था कि सभी टैक्सीयों को सौर ऊर्जा से संचालित किया जाएगा। केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितीन गडकरी एवं मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के हाथों 27 मई को एयरपोर्ट परिसर में इलेक्ट्रिक टैक्सी सेवा का शुभारंभ किया गया। इस सेवा को रियायत के तौर पर परिवहन मंत्रालय के रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन के दायरे से मुक्त कर रखने की घोषणा भी केन्द्रीय मंत्री ने की थी।

ओला कंपनी के माध्यम से बिजली से चलने वाली करीब 200 टैक्सी, बस, आटोरिक्शा, ई-टैक्सी को सड़कों पर उतारा जाना है। इसमें 100 टैक्सी ई-20 प्लस महिन्द्रा वाहन निर्माता कंपनी ने मुहैया कराए हैं। इन इलेक्ट्रिक संचालित वाहनों के लिए ओला कंपनी ने 50 करोड़ की लागत से इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार कर शहर में तीन स्थानों पर 50 चार्जिंग प्वाइंट बनाए हैं। वाहनों को चार्जिंग सुविधा देने के लिए ओला कंपनी को इसके अलावा वाहन निर्माता कंपनी टाटा मोटर्स, काइनेटिक और टीवीएस ने भी इलेक्ट्रिक चार्जिंग सुविधा वाले वाहनों को तैयार करने का आश्वासन दिया है। बावजूद इसके टैक्सियों को अब भी शहर में सौर ऊर्जा की बजाय पारंपरिक ऊर्जा से संचालित किया जा रहा है। शहर के एयरपोर्ट समेत गोरेवाड़ा और जयताला के चार्जिंग प्वाइंट पर रोजाना महावितरण कंपनी की बिजली से ही वाहनों को चार्ज किया जा रहा है। पारंपरिक ऊर्जा से संचालित होने के चलते प्रदूषण कम होने की बजाय उसमें बढ़ोतरी होने की आशंका बढ़ गई है।

बिजली के वाहन से फैलता है दोगुना प्रदूषण

नॉर्वे के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की ओर से किये गये शोध के मुताबिक बिजली से चलने वाले वाहन पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहनों से ज्यादा प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं. शोध में कहा गया है कि यदि बिजली उत्पादन के लिए कोयले का इस्तेमाल होता है तो इससे निकलने वाली ग्रीन हाउस गैसें डीजल और पेट्रोल वाहनों की तुलना में कहीं ज्यादा प्रदूषण फैलाती हैं.

कैसी है इलेक्ट्रिक कार

महिन्द्रा कंपनी द्वारा विशेष रूप से निर्मित इलेक्ट्रिक कार में बिजली से चार्जिंग की व्यवस्था दी गई है। पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए वाहनों को बिजली से चार्ज करने का प्रावधान किया गया है। ओला कैब का दावा है कि पारंपरिक बिजली की बजाय वाहनों को कंपनी के अधिकृत चार्जिंग प्वाइंट पर निर्मित सौर ऊर्जा से चार्ज किया जाएगा। फास्ट चार्जिंग में करीब 12 यूनिट और स्लो चार्जिंग में 14 यूनिट की खपत से वाहनों को ऊर्जा दी जाएगी। इलेक्ट्रिक वाहनों में टेलपाइप (प्रदूषण छोड़ने वाले साइलेंसर) नहीं रखे गए हैं, जिससे स्थानीय स्तर पर प्रदूषण को रोका जा सकता है। सामान्य तौर पर वाहनों में टेलपाइप से ही कार्बन मोनोआक्साइड, ओजोन, लेड, नाइट्रोजन और हाइड्रोकार्बन्स जैसी हानिकारक तत्व निकलते हैं। इसके साथ ही पेट्रोलियम पदार्थों की खपत को भी नियंत्रित किया जा सकेगा।

 

Created On :   17 July 2017 8:41 PM IST

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