पश्चिम विदर्भ में स्ट्राॅबेरी का केंद्र बनता जा रहा चिखलदरा

Chikhaldara is becoming the center of Strawberry in West Vidarbha
पश्चिम विदर्भ में स्ट्राॅबेरी का केंद्र बनता जा रहा चिखलदरा
अमरावती पश्चिम विदर्भ में स्ट्राॅबेरी का केंद्र बनता जा रहा चिखलदरा

डिजिटल डेस्क, अमरावती। एक समय धारणी व चिखलदरा के किसान पूरी तरह पारंपारिक फसलों की खेती कर जीवन गुजरते थे। किंतु बदलते समय के साथ इन किसानों ने स्ट्राॅबेरी फसल की खेती करने की शुरुआत की। अब स्थिति यह हो गई है कि चिखलदरा पर्यटन क्षेत्र में पहुंचने वाले देशभर के नागरिक यहां की स्ट्राॅबेरी का लुफ्त जरूर उठाते हैं। चिखलदरा में उगाई जाने वाली स्ट्राॅबेरी नागपुर होते हुए राज्य सहित देशभर के अन्य जिलों में पहुंचने लगी है। गत 8 वर्ष से चिखलदरा के आसपास बसे आमझरी, शाहपुर, आलाडोह, खटकाली, मसोंडी, सलोना गांव के 50 से अधिक किसान स्ट्राॅबेरी की खेती कर रहे थे। स्ट्राॅबेरी की खेती से जुड़े गजानन पाटील, सुधाराम पाटील तथा मारोती खडगे ने बताया कि अन्य फसलों की तुलना में स्ट्राॅबेरी पूरी तरह नगदी पर आधारित है और इसकी ाबाजार में अच्छी मांग होने के कारण किसानों को खरीददारों की तलाश नहीं करनी पड़ती है। स्ट्राॅबेरी उपजाने के लिए 12 रुपए की दर से स्ट्राबेरी की कलम मंगाई जाती है। एक एकड़ में करीब 22 हजार कलम आवश्यक है। ठंड के दौरान कम पानी में भी स्ट्राबेरी का उत्पन्न अच्छा होता है। एक एकड़ मंे स्ट्राबेरी लगाने के लिए किसानों को 3 लाख रुपए खर्च करने पड़ते है। 45 दिनों बाद फलों की पैदावार शुरू हो जाती है। जनवरी से मार्च के दौरान फसलंे अर्जित की जाती हैं। रोजाना एक एकड़ खेत से 30 से 40 किलो स्ट्राॅबेरी प्राप्त होती है। खेती मंे 3 लाख रुपए खर्च होने के बावजूद प्रति एकड़ किसानों को 3 लाख रुपए का मुनाफा होता है। एक एकड़ खेती से करीब 8 लोगों को राेजगार भी मिलता है। 

250 रुपए में एक किलो 
चिखलदरा के किसानों द्वारा उगाई गई इस स्ट्राॅबेरी की कीमत 250 से 280 रुपए प्रति किलो के आसपास होती है। सबसे अधिक स्ट्राॅबेरी की खरीदी पर्यटकों द्वारा ही की जाती है। चिखलदरा में जगह-जगह स्टॉल लगाकर स्ट्रॉबेरी बेची जा रही है। 
 


 

Created On :   17 Jan 2022 5:38 PM IST

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