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आदिवासी आश्रम स्कूलों में बच्चों की मौत का मामला, विभाग सचिव और आयुक्त तलब

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने आदिवासी आश्रम स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं के चलते बच्चों की मौत के मामले में कड़ा रुख अपनाया है। मामले को लेकर अदालत के निर्देशों का पालन न होने के बात को जानने के बाद जस्टिस आरवी मोरे व जस्टिस अनूजा प्रभुदेसाई की बेंच ने आदिवासी विकास विभाग के सचिव व आयुक्त को कोर्ट में तलब किया है।
इससे पहले याचिकाकर्ता के वकील उदय वारुंजेकर ने बेंच को बताया कि गत दस वर्षों में आदिवासी आश्रम स्कूलों में एक हजार बच्चों की मौत हुई है। सांप व बिच्छू का काटना तथा बिजली का करंट लगना, इन बच्चों के मौत की वजह बनी है। इसके अलावा भी बच्चों की मौत के कई कारण है। कई आश्रम स्कूलों में शौचालय नहीं है। प्राथमिक उपचार की भी व्यवस्था नहीं है।
इन स्कूलों में सुरक्षा दीवार भी नहीं है। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोसल साइंस(TISS) ने अपनी रिपोर्ट में आश्रम स्कूलों की स्थिति को सुधार को लेकर सिफारिशें दी है। लेकिन आदिवासी विभाग इन सिफारिशों को लागू करने को लेकर कोई सार्थक प्रयास नहीं कर रहा है। हाईकोर्ट ने प्रकरण को लेकर कई निर्देश जारी किए है, लेकिन उन पर भी अमल नहीं किया जा रहा है। जिसके चलते आदिवासी आश्रम स्कूलों की स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है।
वारूंजेकर की इन दलीलों को सुनने के बाद बेंच ने मामले की सुनवाई 10 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी और अगली सुनवाई के दौरान राज्य के आदिवासी विभाग के सचिव व आयुक्त को अदालत में हाजिर रहने को कहा।
Created On :   27 July 2018 7:42 PM IST