सूखे के हालात जानने कलेक्टर करेंगे मॉनिटरिंग, किसानों के पास पीने का पानी भी नहीं बचा

Collector will know about the situation of drought and farmers in MP
सूखे के हालात जानने कलेक्टर करेंगे मॉनिटरिंग, किसानों के पास पीने का पानी भी नहीं बचा
सूखे के हालात जानने कलेक्टर करेंगे मॉनिटरिंग, किसानों के पास पीने का पानी भी नहीं बचा

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। मानसून की मार ने इस साल शहर से लेकर गांव तक हालात खराब कर दिए हैं। आधा दर्जन नगरीय क्षेत्रों में पीने को पानी नहीं है, वहीं गांव में फसलें बरबाद हो रही हैं। पिछले साल की तुलना में 191 मिमी बारिश कम दर्ज की गई है। इन आंकड़ों के सामने आने के बाद अधिकारी भी सकते में हैं। स्थिति पर नियंत्रण रखने के लिए अभी से मॉनिटरिंग प्लान तैयार किया जा रहा है। जिसकी समीक्षा कलेक्टर जेके जैन 1 सितंबर को करेंगे। अल्प वर्षा से बिगड़े हालातों को लेकर राहत आयुक्त पहले ही आगाह कर चुके हैं। पिछले दिनों ही स्थानीय स्तर पर अधिकारियों ने फसलों का सर्वे किया था, जिसके बाद ये सामने आई थी कि बारिश नहीं हो पाने के कारण किसानों को इस साल बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। 

इन वजहों से बढ़ी परेशानी

  • किसानों को फसल की बोवनी दोबारा करनी पड़ी है। अच्छे मौसम का अनुमान लेकर जिन किसानों ने पहले बोवनी कर ली थी। उन किसानों की फसलें पूरी तरह से बरबाद हो गई है।
  • सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 60 से 70 फीसदी फसल उग ही नहीं पाई। किसानों को जुलाई के अंतिम सप्ताह और सितंबर के पहले सप्ताह में खेतों में हल चलाकर फिर बीज बोना पड़ा। 
  • अल्प वर्षा से पशुओं के लिए चारे का भी सबसे बड़ा संकट खड़ा हो गया है। बताया जा रहा है कि यदि यही स्थिति रही तो गर्मी में पानी के साथ-साथ किसानों को अपने पशुओं को खिलाने के लिए चारा भी नसीब नहीं होने वाला है।
  • सबसे बड़ी दिक्कत पीने के पानी की होने वाली है। मुख्यालय में ही कन्हरगांव डेम में इतना पानी अभी तक नहीं आ पाया है कि जुलाई 2018 तक पानी सप्लाई हो सके। ये हालात सभी नगरीय सहित ग्रामीण क्षेत्रों के हैं। जलस्तर तेजी से गिर रहा है। वहीं नदी-नालों में अभी भी उम्मीद के मुताबिक पानी नहीं आ पाया है।
  • बारिश का असर खाने-पीने के अलावा जनता के स्वास्थ्य पर भी दिखाई देगा।
  • मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यदि बारिश के यही हालात रहे तो इस बार गर्मी चरम पर रहेगी। जिससे मौसमी बीमारियों का प्रकोप बढऩा तय है। खासकर, ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी विपदा आ सकती है। जिसके लिए अभी से प्रबंधन की जरूरत है।

क्यों बनी स्थिति

  • जून से किसानों ने बोवनी शुरु कर दी थी। अनुमान था कि जुलाई तक भरपूर पानी बरसेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब हालात ये है कि कई किसानों के पास दोबारा बोवनी के लिए पैसा नहीं बचा है। 
  • 30 अगस्त 2016 की स्थिति में जिले में 826.4  मिमी बारिश हो गई थी। लेकिन इस बार अब तक महज 634.9 मिमी बारिश ही हो पाई है। पिछले साल की तुलना में 191.5 मिमी बारिश कम दर्ज की गई है। 
  • इस साल मार्च से जून तक ही पीने के पानी के लिए जिले में हाहाकार मच गया था। हालात इतने खराब थे कि शहरी क्षेत्रों में ही चार-चार दिन में पानी आ रहा था। वहीं गांव सूखे की चपेट में थे। फिर वैसे ही हालात निर्मित हो रहे हैं।

Created On :   31 Aug 2017 3:20 AM GMT

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