सरकारी नौकरी के लिए आवेदन पत्र में हो किन्नरों के लिए कॉलम, केंद्र-एमपीएससी से मांगा जवाब  

Column for transgenders should be in the application form for government jobs
सरकारी नौकरी के लिए आवेदन पत्र में हो किन्नरों के लिए कॉलम, केंद्र-एमपीएससी से मांगा जवाब  
हाईकोर्ट सरकारी नौकरी के लिए आवेदन पत्र में हो किन्नरों के लिए कॉलम, केंद्र-एमपीएससी से मांगा जवाब  

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने सरकारी नौकरी में आवेदन के लिए किन्नरों के लिए श्रेणी बनाने की मांग को लेकर दायर याचिका पर राज्य सरकार व महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग (एमपीएससी) को नोटिस जारी किया है। इस विषय को लेकर दो किन्नरों ने अधिवक्ता विजय हिरेमठ के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में किन्नरों ने दावा किया है कि राज्य के परिवहन व पुलिस विभाग में पद के लिए निर्धारित शैक्षणिक योग्यता व प्रशिक्षण होने के बावजूद वे इन पदों को पाने में वंचित है। क्योंकि इन पदों पर आवेदन के लिए सिर्फ महिला व पुरुष श्रेणी का उल्लेख है। किन्नर श्रेणी का कोई विकल्प नहीं दिया गया है। न्यायमूर्ति एए सैय्यद ने याचिका पर गौर करने के बाद राज्य सरकार व संबंधित प्राधिकरण को तीन सप्ताह के भीतर याचिका में उठाए गए मुद्दे को लेकर जवाब देने का निर्देश दिया है। खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को इस याचिका में महाराष्ट्र ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड को भी प्रतिवादी बनाने को कहा है। इस मुद्दे को लेकर दो किन्नरों के अलावा संपदा ग्रामीण महिला संस्था (संग्राम) व मुस्कान संस्था ने भी कोर्ट में याचिका दायर की है। जिसमें राज्य सरकार को सभी सरकारी नौकरियों की नियुक्ति के आवेदन के लिए किन्नर श्रेणी का विकल्प उपलब्ध कराने का निर्देश देने का निवेदन किया गया है। याचिका में कहा गया है कि कानून में जहां-जहां लिंग (जेंडर) का उल्लेख है। वहां पर तृत्तीय पंथी को भी जेंडर के विकल्प के रुप में शामिल किया जाए। 

सुनवाई के दौरान अधिवक्ता हिरेमठ ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का उल्लेख करते हुए कहा कि नागरिकों को समानता का अधिकार देनेवाले संविधान के अनुच्छेद 14 में दी गई व्यक्ति की परिभाषा में सिर्फ स्त्री व पुरुष शामिल नहीं हैं। इसमें किन्नरों का भी समावेश है। फिर भले ही किन्नर की पहचान स्त्री व पुरुष के रुप में नहीं है। ऐसे में सरकारी नौकरी के आवेदन में किन्नर का विकल्प न देना तृतीयपंथीय समुदाय के जीवन व समानता के अधिकार के साथ ही अभिव्यक्ति की अजादी का भी उल्लंघन है। 

सुप्रीम कोर्ट ने एनएएलएसए मामले में दिए गए फैसले में कहा है कि किन्नर समुदाय कानूनी संरक्षण व अपने मौलिक अधिकारों के अमल का हकदार है। जिसमे शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य व नागरिकता का समावेश है। याचिका में कहा गया है कि इस बारे में कई बार सरकार के संबंधित प्राधिकरण व विभाग को निवेदन दिया गया है। लेकिन कई अधिकारियों ने मौखिक रुप से बताया है कि जब तब महाराष्ट्र राज्य लोक सेवा आयोग नियमों में बदलाव कर किन्नर श्रेणी का विकल्प नहीं उलब्ध कराएगा। तब तक इस संबंध में बदलाव की ओर कदम नहीं बढेगा। याचिका में मुख्य रुप से सुप्रीम कोर्ट द्वारा एनएएलएसए मामले में दिए गए फैसले को लागू करने की मांग की गई है। 
 

Created On :   28 March 2022 9:02 PM IST

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