विकास कार्यों के लिए कंपनियां नही दे रही सीएसआर फंड- तडस, तुमाने ने कहा- बढ़ाई जाए जेनेरिक दवा की दुकानें

Companies not providing CSR funding for development work - Tadas
विकास कार्यों के लिए कंपनियां नही दे रही सीएसआर फंड- तडस, तुमाने ने कहा- बढ़ाई जाए जेनेरिक दवा की दुकानें
विकास कार्यों के लिए कंपनियां नही दे रही सीएसआर फंड- तडस, तुमाने ने कहा- बढ़ाई जाए जेनेरिक दवा की दुकानें

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वर्धा से भाजपा सांसद रामदास तडस ने एक बार फिर सोमवार कंपनियों द्वारा उन्हे सीएसआर फंड नही दिए जाने को लेकर सवाल उपस्थित किया। कहा कि उनके संसदीय क्षेत्र में कई कंपनियां है, लेकिन उन्हे क्षेत्र के विकास कार्यों के लिए उनसे सीएसआर फंड नही मिल रहा है। उन्होने सरकार से आग्रह किया कि वह कंपनियों को इस बारे में दिशा-निर्देश दें। सांसद तडस ने प्रश्नकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत विकास कार्यों के लिए निधि की आवश्यकता है। इसलिए सार्वजनिक क्षेत्र में कार्यरत सरकारी कंपनियों के माध्यम से आदर्श ग्राम योजना के महत्वपूर्ण कार्य के लिए सीएसआर फंड मिलना चाहिए, लेकिन वहां उन्हे कंपनियों की ओर से सीएसआर फंड नही मिल पा रहा है। केन्द्रीय राज्य वित्त एवं कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्री अनुराग ठाकुर ने सदन को बताया कि सांसद तडस 15 दिन के अंदर ही दूसरी बार यह प्रश्न पूछा है। उस समय भी उन्हे बताया गया था कि इसमें सरकार का सीधे तौर पर कोई हस्तक्षेप नही होता है। क्योंकि कंपनी एक्ट के शिड्यूल 7 में सीएसआर फंड के बारे में दिए गए नियमों के अनुसार सांसद अपने क्षेत्र में कोई भी विकास कार्य कर सकते है। इसे कंपनियां स्वयं करती है।मंत्री के जवाब पर लोकसभा अध्यक्ष ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि कंपनी उनके संसदीय क्षेत्र में फंड नही दे रही होगी तभी तो संसद सदस्य ने सवाल पूछा है। आप बस दिशा-निर्देश दे दें कि वे इनके यहां काम करें। जिस पर राज्यमंत्री ठाकुर ने स्पष्ट कर दिया कि कि इसमें सरकार सीधे तौर पर कोई हस्तक्षेप नही कर सकती, दिशा-निर्देश जारी नही कर सकती। 
    
जेनेरिक दवाईयों की दुकानों की संख्या बढाई जाए-सांसद तुमाने

रामटेक से शिवसेना सांसद कृपाल तुमाने ने सोमवार को लोकसभा में जेनेरिक मेडिसिन की दुकानों की संख्या बढाए जाने की मांग की। इसके साथ ही उन्होने सरकार से आग्रह किया कि वह डॉक्टरों को आदेश दें कि मरीजों को जेनेरिक दवाईयां ही प्रिसक्राईब करें और यह भी सुनिश्चित किया जाए कि डॉक्टर मरीजों के जेनेरिक दवाईयां ही प्रिसक्राईब कर रहे है या नही। नियम 377 के तहत इस मुद्दे को उठाते हुए सांसद तुमान ने कहा कि मध्यम तथा गरिबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले किसी भी व्यक्ति को बीमारी से ज्यादा सबसे बड़ी चिंता इलाज में होने वाले खर्चे की होती है। जेनेरिक दवाईयां सस्ती होती है। इसलिए देश में जेनेरिक दवाईयों की दुकाने ज्यादा से ज्यादा संख्या में खोली जाए।  
    

Created On :   15 July 2019 2:26 PM GMT

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